मनमोहन शर्मा ‘शरण’ (प्रधान संपादक)
होली भी गई और जिस बात की आशंका भी वह भी हो ली । कोरोना ने एक बार फिर से अपना रौद्र रूप दिखाना प्रारंभ कर दिया है । जबकि लोगों ने लगातार गिरते आंकड़ों को देखकर–सुनकर मानों निश्चित होना प्रारंभ कर दिया था कि शायद हम कोरोना से मुक्त होने लगे हैं विशेषकर तब जब कोरोना वैक्सीन भी लगनी प्रारंभ हो गई है ।
यहाँ मुझे कुछ ऐसा प्रतीत हो रहा है कि क्या लोगों ने समाचार पढ़ने–सुनने छोड़ दिये हैं अथवा उसको हलके में लेना शुरू कर दिया है । बार बार बताया जा रहा है कि कोरोना की दूसरी लहर भारत आ चुकी है जिसके लक्षण भी कुछ भिन्न हैं । ‘दो गज की दूरी मास्क है जरूरी’ स्लोगन छोटे–छोटे बच्चे भी अपनी तोतली और प्यारी आवाज में सुना रहे हैं जिसको हम हँस कर टाल रहे हैं या पूरी तरह से अमल नहीं कर रहे । पाँच राज्यों में चुनावी रैलियों में काफी अधिक संख्या में लोगों ने भाग लिया और कितना दूरी को और मास्क पर अमल किया है वे मीडिया द्वारा पेश की गई रिपोर्टिंग में दिखाई दे रहा है । हम सभी जानते हैं कि समय रहते सजगता से इस महामारी का सामना किया था जिसके परिणामस्वरूप बहुत कुछ हमने खोने से बचा भी लिया ।
लापरवाही तो हमें छोड़नी पड़ेगी अन्यथा इतना बड़ा देश है, स्थिति संभाले नहीं संभलने वाली हो सकती है । औरों की बताई बात पर विश्वास करने के बजाए आज कोरोना वैक्सीन सेंटर पर मैं स्वयं रजिस्ट्रेशन के लिए गया । वहां पुलिस की वर्दी में 10–12 महिला–पुरुष कुर्सियाँ, लगभग सटी हुई यपास–पासद्ध और सबने मास्क भी नहीं लगा रखा था । फिर हम आम जनता से कैसी और क्यों उम्मीद कर सकते हैं । इसमें एक बात और निकलकर आई जो अक्सर हम अपने बड़े बुजुर्गों से सुनते आए हैं । ईश्वर भी उन्हीं की मदद करते हैं जो स्वयं अपनी मदद की पहल करता है । अत: हमें स्वयं इस बात को समझना होगा कि अपनी और अपनों की भलाई हमारे अपने ही हाथ में है । साफ–सफाई का ध्यान, दूरी और मास्क को बराबर बनाकर रखना है । यदि आप वैक्सीन लगवाने की श्रेणी में आ गए हैं तो तुरन्त रजिस्ट्रेशन कराकर वैक्सीन की दोनों डोज लगवाएं ।
बात पांच राज्यों में हो रहे विधान सभा चुनावों की करें तो सभी अपना–अपना दमखम लगा रहे हैं और अपने को दूसरे से बेहतर बता रहे हैं किन्तु समाचार चैनलों व पत्रें में प्रमुखता से पश्चिम बंगाल छाया रहता है क्योंकि एक ओर भाजपा खेमें में मुख्यमंत्री, ग्रहमंत्री, राष्ट्रीय अध्यक्ष , अभिनेता और विशेषकर प्रधानमंत्री तक स्टार प्रचारक मैदान में और दूसरी तरफ टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी जो स्वयं पैरों पर भी नहीं खड़ी हो पार्इं, एक्सीडेंट के चलते चोट आ जाने के कारण । पूरा चुनावी कैम्पेन उन्होंने व्हील चेयर पर किया । हाँ, आवाज में वही तरकश–हिम्मत और न हारने का माद्दा महिला सशक्तीकरण की एक ओर गवाही दे रहा था और यदि परिणाम उनके पक्ष में रहा तो यही जनता एक
स्वर में मानो कह उठेगी–––––‘खूब लड़ी दीदी वह तो ––––––––––’