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खजुराहो यात्रा:  एक अविस्मरणीय दैवीय अनुभव

यात्रा…….   जिसका नाम आते ही मन में  अजीब सी तरंगे  उसने लगती है।  एक  उत्साह  ,एक  जोश उत्पन्न हो जाता है  कि  लगातार  एक ही तरह की  दैनिक जीवन से  नया  कुछ हटकर  देखने को,  घूमने को,  सीखने को मिलेगा।  जहां हम स्वच्छंद होंगे , पारिवारिक जिम्मेदारियों का बोझ  शायद  कुछ कम होगा। जहां…

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भावना

सब देखता नित ही यहाँ कब बोलता बस रो रहा। अब रोज ही यह हो रहा मुख ढाँप मानव सो रहा।। जग ही दिखे सब ये सखी अब खो रही निज है दया। अति हो रही हर क्षेत्र में यह बीज है नव बो रहा।। रचना रची भगवान ने उसने दिया यह रूप है। सबको…

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ग़ज़ल

इस नये साल पर दें तुम्हें क्या बधाइयाँ। हर सिम्त हैं चीखें-पुकार, ग़म- रुलाइयाँ। हम जायें किधर इधर कुंआ, उधर खाइयाँ गुमराह हो गयी हैं हमारी अगुआइयाँ। काबिज़ हैं ओहदों पर तंग़ज़हन ताक़तें, हथिया रहीं सम्मान सभी अब मक्कारियाँ। ईमानदारियों की पूछ- परख है कहाँ, मेहनत को भी हासिल नहीं हैं कामयाबियां। माँ,  बहन, बेटियों…

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….फिर यह दुनिया होगी खूबसूरत

जब ना जाति होगी ना भेदभाव होगा जब धर्म सिर्फ इंसानियत का होगा तब होगी यह दुनिया खूबसूरत तब होगी यह दुनिया खूबसूरत। जब इंसान अपने प्रोटीन व स्वार्थ के लिए किसी बेजुबान जानवर की हत्या ना करके सही मायनों में प्रेम की परिभाषा सीखेगा। तब होगी यह दुनिया खूबसूरत तब होगी यह दुनिया खूबसूरत।…

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दो किलो रोज गाली का डोज

                                                                                                   कुशलेन्द्र श्रीवास्तव प्रधान मंत्री जी ने पूरा गणित लगाकर बता ही दिया है कि वे प्रतिदिन दो किलो गालियों का डोज लेते हैं हो सकता है कि वे इससे अधिक डोज लेते हों और उनको जानकारी मेे केवल दो किलो ही आइ्र हो । गालियों के वजन को मापने के किस यंत्र का उपयोग…

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कर्मवीर काशी के’ एवं श्री शंकर वाचनालय का लोकार्पण

31 अक्टूबर, 2022 “पुस्तकें और प्रकृति मनुष्य के दो आवश्यक सहचर हैं। पुस्तकें मनुष्य को शिक्षित करते हुए उसके आचरण का भी निर्माण करती हैं। आज के डिजिटल युग में भी छपी हुई पुस्तकों का महत्त्व है। ये पीढ़ी-दर-पीढ़ी ज्ञान का संचार करती हैं।” ये बातें कहीं लेखक-समीक्षक डाॅ. अशोक कुमार ज्योति ने। ग्रामीण क्षेत्रों…

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एकता,सरदार पटेल

वतन की दरदे नेहा की दवा है एकता गरीब कौम की हाजत रवा है एकता तमाम दहर की रूहे रवा है एकता वतन से मोहब्बत नहीवह क्या जाने क्या चीज़ है एकता क्या है अनेकता ******* दे रहा है ज़माना पैगामे पटेल अब न होगा फिर कब होगा सब मे मेल जाँ हथेली पे ले…

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देशप्रेम

“निशि  मुझे आज ही जाना होगा , जल्दी से तैयारी करा दो ।” समर बोला।        “कैसे ,अभी कल ही तो आये हो और आज फिर जाना है ?” निशि का चेहरा उदास हो गया।    “यही तो हमारी वर्दी का कमाल है प्रिये,जब चाहे तब बुलावा आ जाता है ।आखिर जिम्मेदारी भी तो बड़ी…

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सरदार वल्लभभाई पटेल

नमन  तुम्हें हम करते सरदार जन्म ले भारत भू पर पावन देश को किया देशहित नित्य कष्टों को झेला हवा  जेल की कई बार खाई. ईमानदारी,देश प्रेम रग- रग में समाया किसानों के बने नायक  सरदार कहलाए. नमन तुम्हे हम करते सरदार. हैदराबाद जूनागढ़ और कश्मीर के हठधर्मियों  को सबक सिखाया. बिना खून बहाए, एकजुट…

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वृक्षारोपण का उद्देश्य है वृक्षों को बढ़ावा देना ; सीमा शर्मा

वृक्षारोपण का उद्देश्य है वृक्षों को बढ़ावा देना। पृथ्वी पर पारिस्थितिक संतुलन बनाये रखने के लिए वन्य अत्यंत आवश्यक है। प्रतिवर्ष तेजी से फैले प्रदूषण की वजह से मनुष्य का जीवन स्तर गिरता जा रहा है और इन सबका एक ही उपाए है वृक्षारोपण। पेड़ -पौधे न सिर्फ हमे अपना प्रत्येक तत्व इस्तेमाल करने देते…

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