उम्मीद के दीप
माना रात घनी है,घोर तमस से भरी है। उजियारी भौंर के सामने कई चुनौतियाँ धरी हैं। तुम सूरज पर एतबार बनाए रखना। उम्मीदों के दीपक जलाए रखना। मंजिल बहुत दूर हो,दर्द बेहिसाब हो। सबसे मेरा रश़्क हो,उजड़े हुए मेहताब हो। जुगनुओं से इल्तिफात तुम बनाए रखना। उम्मीदों के दीपक जलाए रखना। मंज़र-ए-नदीश में कष्ट इफरात…