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आतंकवाद के जड़मूल नाश से पूर्व यह’ ऑपरेशन सिन्दूर’ रुकेगा नहीं : मनमोहन शर्मा ‘शरण’ (संपादक)

22 अप्रैल को हुआ पहलगाम (जम्मू कश्मीर में) हमला जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। उन परिवारों को या कहें पूरे देशवासियों को कभी न भरने वाला जख्म दे दिया जो जीवन भर दर्द का अहसास कराता रहेगा किन्तु उन परिवारों के साथ पूरे देश की जनता की आवाज एक सुर में उठने लगी बदला और सिर्फ बदला, दहशतगर्दों को उनके किए कुकर्मों की सजा अवश्य मिले, जिससे खोये लोग तो वापिस नहीं आ पाएंगे किन्तु उन्हें न्याय अवश्य मिल सकेगा। सरकार-विपक्ष भी सुर में सुर मिलाकर बैठक पर बैठक करने लगे और एक रणनीति तैयार हुई और नाम भी इससे अच्छा हो नहीं सकता था ‘ऑपरेशन सिंदूर’ । पूरा देश अप्रैल के अन्तिम सप्ताह से मई के प्रथम सप्ताह तक केवल और केवल प्रतीक्षा करता रहा। यहाँ यह भी समझना या बताना आवश्यक है जिससे आप सब भी भली प्रकार परिचित हैं अथता सहमत होंगे कि यह काम जितना होने के उपरान्त सहज अथवा सरल लगता है किन्तु यह निर्णय लेना सत्ता पर आसीन होते हुए उतना सरल नहीं होता क्योंकि सभी 150 करोड़ देशवासियों का हित भी देखना है और पीड़ित परिवारों/व्यक्तियों को न्याय भी दिलाना है जिनके दुख में पूरा देश दुखित है।
आखिर वह दिन आया मई के प्रथम सप्ताह में जब ऑपरेशन सिन्दूर’ एक्टिव हुआ जिसने पाकिस्तान के आतंकवादियों को, उनके ठिकानों को नेस्तानाबूत कर दिया और पाकिस्तान का एयरबेस भी असहाय सा हो गया जिसे भारत की तकनीकी कौशल ने / मिसाइलों ने तबाह कर दिया। बात केवल भारत और पाकिस्तान की ही नहीं पूरे विश्व की, विशेषकर पाकिस्तान के सहयोगी चीन और तुर्की भी हैरान-परेशान हो उठे। यहाँ आत्मनिर्भर भारत की सशक्त सुदृढ़ तस्बीर के दर्शन हुए जिसका विश्व बिरादरी ने भी लोहा माना। चौन के पटाखों, अन्य सामानों की तरह उनके हथियार होन आदि भी फुस्स हो गए। पाकिस्तान बार बार परमाणु बम को याद करके और जोर जोर से चिल्लाकर भय उत्पन्न करके अपनी शतों पर युद्ध भी रोकना और मनमानी करना चाहता था क्योंकि उसके कन्धों पर कुछ देशों (जिनका उल्लेख ऊपर किया) के हाथ थे। लेकिन भारत के प्रधानमंत्री, रक्षामंत्री तथा विदेशमंत्री ने स्पष्ट कर दिया कि परमाणु बमों का बखान करके किसी का भला नहीं हो सकता। चात सिर्फ आतंकवाद रोकने तथा पीओके भारत को सौंपने पर होगी जो भारत का ही है।
सब बातें अपने (भारत के) हक में जा रही थी और पीओके भी अपना होगा ऐसा आभास होने लगा था कि पलक झपकते ही यह मंशा पूरी हो जाएगी। किन्तु एकाएक अमेरिका के राष्ट्रपति ने बयान जारी कर दिया कि उनके बीच बचाव से दोनों देश सीजफायर के लिए राजी हो गए। जबकि दोनों देशों के सेना संचालन महानिदेशकों (DGMO) ने फोन पर बातचीत की और आपसी विचार-विमर्श से यह सहमति बनी। यूट्यूब चैनल्स पर ज्योतिषयों की, पत्रकारों की लगातार कवरेज प्रसारित हो रही है जिसमें अपने-अपने तर्क और दावे किये जा रहे हैं और निष्कर्ष यही कि यह मात्र ठकराव है – आतंकवाद के जड़मूल नाश से पूर्व यह’ ऑपरेशन सिन्दूर’ रुकने वाला नहीं है।

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