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लाॅकडाउन

            करीब चार महीने पहले ई रिक्शा पर कुछ सामान लादकर एक आदमी किराए का   एक कमरा खोज रहा था। उसके साथ उसकी पत्नी और दो बच्चे  भी थे जो बार बार रिक्शे से बाहर झांक रहे थे। शायद उनमें उस घर को देखने की उत्सुकता हो रही होगी जहां उनको रहना था। उन चारों…

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यारो मैंने पंगा ले लिया… (सम्पादकीय)

जी हाँ मित्रो!, चीन ने पूरी दुनिया में कोरोना वायरस को फैलाकर कोहराम मचा दिया  जिसके चलते सारा विश्व परेशान है और सबके निशान पर चीन अपने को देख रहा है ।  गलती की है  और यदि मान लेते हो तो इसके अनेक उपाय हैं, बात बन जाएगी । किन्तु चोरी और सीनाजोरी न कभी…

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ग़ज़ल

कभी बैठकर कभी लेटकर चल कर रोये बाबू जी, घर की छत पर बैठ अकेले जमकर रोये बाबू जी। अपनों का व्यवहार बुढ़ापे में गैरों सा लगता है, इसी बात को मन ही मन में कह कर रोये बाबू जी। बहुत दिनों के बाद शहर से जब बेटा घर को आया, उसे देख कर खुश…

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नया पकवान

एक महान राजा के राज्य में एक भिखारीनुमा आदमी सड़क पर मरा पाया गया। बात राजा तक पहुंची तो उसने इस घटना को बहुत गम्भीर मानते हुए पूरी जांच कराए जाने का हुक्म दिया। सबसे बड़े मंत्री की अध्यक्षता में एक समिति बनाई गई जिसने गहन जांच कर अपनी रिपोर्ट पेश की। राजा ने उस…

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“जीवन का समीकरण”

“ये ज़िन्दगी भी तो एक रक्कशा है साहेब अगर आप सफल हो, सारे खूबसूरत जलवे दिखाती है। पर अगर आप गोते लगाते हो, असफलता के गर्त में, तो फिर ये आपसे नजरें चुराती है।” सपने देखना अच्छी बात है। उन्हें पूरे करने के लिए कोशिश करना और भी अच्छी बात है। परन्तु सारी कोशिशों के…

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मातृभूमि

देखो मदान्ध हो ड्रैगन ने, फिर हमको ललकारा है। स्वर्गादपि गरीयसी इस मातृभूमि, का कण कण हमको प्यारा है।। आत्मनिर्भर हो भारत अपना , अखंड राष्ट्र का नारा है । चीनियों का बहिष्कार हो , राष्ट्र धर्म हमारा है ।। मानसरोवर का खौलता जल , हिम बना धधकता अँगारा है । बच्चे- बच्चे का अंग…

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सदियों तक पीड़ा सहकर …..

सदियों तक पीड़ा सहकर हमने ये दौलत पाई है घना उजाला दिखता बाहर , भीतर तो तन्हाई है । अंतस् में कई प्रश्न गूंजते , क्या ये पीर पराई है रूखे- सूखे रिश्ते ढोना,ये भी तो इक सच्चाई है सदियों तक पीड़ा सहकर हमने ये दौलत पाई है । तन पूरा ,मन रहा अधूरा, कितनी…

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मेरा गांव बदल रहा है,

अम्बरीश श्रीवास्तव मेरा गांव बदल रहा है, सोया हुआ रक्त उबल रहा है। पहले मिलजुल कर रहते थे, अब एक दूसरे को निगल रहा है ।। सुना था मकान कच्चे है पर रिश्ते पक्के होते थे गांव में । बच्चे बूढे, हारे थके श्रमिक किसान सब खुश थे छाव में ।। आज छांव छितर गई…

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