संगीता अग्रवाल (आगरा, उत्तर प्रदेश)
नेता बने अभिनेता
वोटों के दिन जब हैं आए
नेता भी अभिनेता बन जाए
झूठे-झूठे सपने दिखाए
टूटी हुई सड़कें बनबाएं
बिजली पानी वो दिलबाएं
झूठे सबको भाषण सुनवाएं
बच्चों के स्कूल खुलबाएं
सबको लैपटॉप फ्री बँटबाएं
अस्पतालों को खुलवाएं
बिन पैसे उपचार करवाएं
सबको नए रोजगार दिलाएं
जनता पर पैसे लुटाएं
भोली जनता को मूर्ख बना कर अपने जाल में वो फँसाएं
वोटों के दिन जब हैं आएं नेता भी अभिनेता बन जाएं
वोटों से जब वो जीत जाएं
सारे वादों से वो मुकर जाएं
सारे पैसों को खा जाएं
अपने घर को महल बनाएं
अपने लॉकर भरते जाएं
ढूँढे से फिर नजर ना आएं
चारों तरफ भ्रष्टाचार फैलाएं
देश में महंगाई बढ़बाएं
रोजी-रोटी को तरसाएं
सबसे वो कमीशन खाएं
समय का चक्र बदलता जाए
जब सीट से वो उतर जाएं
फिर ना वोट उसको मिल पाएं
अपने को आम भीड़ में पाएं
कर जुर्म कोई ना बच पाए चाहें कोई नेता बन जाए ।।