कोई जाए काबा, कोई जाए काशी, कोई जाए चारों धाम।
मेरे लिए तो सबसे बड़ा है गुरु द्वार
इस दुनिया में सबसे प्यारा है तेरा दरबार।
हम पर सदा कृपा रहे तेरी और सतगुरु तेरा प्यार।।
कभी गुरु ना हमसे रूठे
कभी यह दर न छूटे
हम बच्चे गुरु तेरे, अब रखना लाज हमारी
हर मुश्किल से गुरुवर, अब रक्षा करो हमारी
हम भक्तों के सिर पर रखना आशीष और दुलार
कभी गुरु ना हमसे रूठे
कभी यह दर ना छूटे
दो ऐसी सद्बुद्धि गुरुजी करती रहूं गुणगान तेरा
सुध-बुध सब खो जाऊं बस याद रखूं नाम तेरा
झुका रहे सर चरणों में तेरे करना गुरुवर स्वीकार
कभी गुरु ना हमसे रूठे
कभी यह दर ना छूटे
मात-पिता तुम मेरे हो..हो..हो
माता पिता तुम मेरे
तुम ही हो दुनिया सारी
तुमने ही जीना सिखाया
तुमसे ही सांसे हमारी
गुरु की सेवा कर न सके तो यह जीवन है धिक्कार
कभी गुरु ना हमसे रूठे
कभी यह दर ना छूटे
हृदय में गुरु आपकी,
ज्योति जले दिन रात
जब भी भक्त पुकारे,
बिन देर लगाए होते साथ
हम सब पर है कृपा नमिता हरिहर ही है आधार।।
कभी गुरु ना हमसे रूठे
कभी यह दर ना छूटे
इस दुनिया में सबसे प्यारा …..
सदा कृपा रहे …..
कभी …..
कभी गुरु हमसे ना रूठे
कभी यह दर न छूटे
नमिता सिंह जाट
नरसिंहपुर मप्र