पुष्प रहे खूब पाँव पखार
नेता जी की जय-जयकार ……..
तुम हो श्रेष्ठ,सकल गुणवान
सेवा, श्रम, अर्पण पहचान
त्याग, तपश्चर्या की मूरत
और कहाँ कोई है सूरत
अद्भुत,अपरम्पार कहानी
मिलती कहीं न एक निशानी
करूँ नमन मैं बारम्बार
नेता जी की जय-जयकार… ……
विविध रूप धर करते लीला
वस्त्र श्वेत, नीला हो पीला
अंग सुशोभित भूषण भारी
देख-देख जनता सब वारी
सुख-सुविधा के हो अधिकारी
मिला हुआ सब-कुछ सरकारी
जगह-जगह घर पर त्यौहार
नेता जी की जय-जयकार…………
नतमस्तक आगे सब ज्ञान
तुमसे ही अब सबका मान
नहीं धरा पर तुम-सा दानी
राजा- रंक भरे दर पानी
अतुलित धैर्य, समर्पण, शील
गाड़ रहे खूब जमकर कील
जनता के तुम हो तारनहार
नेता जी की जय-जयकार……..
सत्य, मधुर है मुख की भाषा
फेंक रहे चुन-चुनकर पाशा
बढ़ा रहे खूब हो अनुयायी
बांट रहे हो घर- घर भाई
राजनीति के कुशल खिलाड़ी
जनता सम्मुख खड़ी अनाड़ी
सजा हुआ है सब दरबार
नेता जी की जय-जयकार………….
नहीं हाथ जिस पर वह दीन
फांके धूल, बजावे बीन
मिला जिसे दिल से आशीष
उन्नत है फिर उसका शीश
युग के आज तुम्हीं सरताज
नहीं आ रहे हो लेकिन बाज
गाँव, शहर करता मनुहार
नेता जी की जय-जयकार………
पुष्प रहे खूब पाँव पखार
नेता जी की जय-जयकार ……….
डाॅ. राजेन्द्र सिंह ‘राही’