The way you care, the knowledge you share
The love you shower, has mens power
You work with Optimism. Dear teacher you are awesome.
आज के दिन 5 सितंबर को हम लोग टीचर्स डे मनाते हैं। टीचर्स डे मनाने के लिए आज का दिन means 5 सितंबर को ही दिन क्यों चुना गया है? क्योंकि आज 5 सितंबर सन 1888 को डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी का जन्म हुआ था। तो आइए संक्षेप में हम कुछ राधाकृष्णन जी के जीवन के बारे में भी बात करते हैं:-
राधाकृष्णन जी का जन्म एक तेलुगु ब्राह्मण परिवार के तिरुत्तनी में हुआ था। इनकी प्रारंभिक शिक्षा क्रिश्चियन स्कूल में हुई, फिर बाद में यह मद्रास गए, आगे की शिक्षा ग्रहण करने के लिए। यह एक स्वतंत्रता सेनानी भी थे और महान दार्शनिक और शिक्षक भी थे। डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी उपराष्ट्रपति रहे और स्वतंत्र भारत के दूसरे राष्ट्रपति भी रहे। इनकी मृत्यु 86 वर्ष की आयु में 17 अप्रैल 1975 को हुई। शिक्षा जगत में डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी का नाम सदैव याद रहेगा।
यह कहना गलत नहीं होगा कि:-
अगर द्रोणाचार्य नहीं होते तो, अर्जुन नहीं होते।
अगर रामकृष्ण नहीं होते तो, विवेकानंद नहीं होते।
अगर आचरेकर नहीं होते तो, सचिन नहीं होते हैं।
मतलब हर सफल मनुष्य के पीछे उसके गुरू का बहुत बड़ा योगदान रहा। साधारण पौधे रूपी मनुष्य को सींच कर विशाल वृक्ष बनाने का काम हमारे शिक्षक ही करते हैं। एक बार राधा कृष्ण जी की क्लास में उनके विद्यार्थी उनका जन्मदिन मनाने की बात उनसे कही, तब राधा कृष्ण जी ने कहा मेरा जन्मदिन अलग से ना करें, मेरा जन्मदिन 5 सितंबर को टीचर्स डे के रूप में मनाएं, तो मुझे बहुत गर्व होगा। उसी दिन से टीचर्स डे 5 सितंबर को मनाया जाता है। देश में पहला टीचर डे 5 सितंबर 1962 को मनाया गया।
टीचर्स डे सेलिब्रेट करने के लिए हम लोग 5 सितंबर को ही टीचर्स डे मनाते हैं पर क्या 1 दिन ही सिर्फ टीचर को सम्मानित करने के लिए काफी है, जी नहीं, इनका तो सम्मान हमें हर दिन करना चाहिए। क्योंकि यह है, तो हम हैं, infect इनसे ही हम हैं। एक टीचर अपने स्टूडेंट का future बनाने के लिए निस्वार्थ भाव से रात दिन एक कर देता हैं उसे पढ़ाने में।.
क्योंकि वही हमें हमारा बेसिक नॉलेज देती है और हमें मां बोलना कि वही सिखाती हैं। हम सबके जीवन में एक गुरु का होना बहुत ही ज्यादा जरूरी होता है हमें वह गुरु किसी भी रूप में मिल सकता है चाहे वह माता-पिता, भाई-बहन, शिक्षक या कोई भी। क्योंकि बिना गुरु ज्ञान नहीं और गुरु का दर्जा तो हमारे यहां भगवान से भी बढ़कर दिया गया है, और कहा भी गया है:-
गुरु गोविंद दोउ खङे, काके लागूं पांय ।
बलिहारी गुरु आप की, गोविंद दियौ बताय ।।
यदि कभी ऐसा हो जाए कि गुरु और भगवान , दोनों एक साथ मिल जाएं तो पहले गुरु को प्रणाम करो। कारण यह कि गुरु ने ही बताया कि ये ईश्वर हैं।
गुरु की बातों का प्रभाव तो हम सब पर पड़ता है, पर छोटे बच्चों पर इसका प्रभाव बहुत ज्यादा पड़ता है। एक बार अगर टीचर गलती से भी यह पढ़ा दे कि 2 + 2 = 5 होता है , तो भले ही उसके माता – पिता या कोई और भी आकर यह बोले की 2+2=4 होता हैं। पर वह बच्चा नहीं मानेगा। इस बात से यह पता चलता है कि बच्चों को टीचर की बातों पर कितना विश्वास है, उनकी बातों को वह कितना मानते हैं और उनकी बातों से हमारे जीवन पर कितना प्रभाव पड़ता है। इन चार पंक्तियों से मैं अपने शिक्षको का शुक्रगुजार करना चाहुगी…
भगवान ने दी जिंदगी,
माता-पिता ने दिया प्यार।
जीवन के हर पहलू को शिक्षित करने में,
अपने शिक्षक का हूं मैं शुक्रगुजार।।
धन्यवाद
जय हिंद जय भारत
विजयलक्ष्मी शुक्ला