पथ के हो राही तुम हो पथिक
थक के न हारो थोड़ा भी तनिक
थोड़ा धीरज धर बढ़ते जाना
एक दूजे का मनोबल बढ़ाना,
आएंगी बाधाएं हजार
साहस को तुम बनाना आधार,
टेड़ी मेड़ी होगी डगर
चलते जाना तुम हो निडर,
आएगी जो भी है रुकावट
वो तो होगी बस क्षणिक…
पथ के हो राही तुम …..
प्रतिकूल बहेगी हवाएँ कई
रोकेगी राहें बाधाएं कई,
मंजिल तुम्हारी निशानी बनेगी
सफलता की कहानी कहेगी ,
तुम जो जो प्रतिमान गड़ोगे
उन्हें देखकर कई आगे बढ़ेंगे,
नीति के पथ पर चलते जाना
कहलाओगे तुम ही नैतिक..
पथ के हो राही तुम हो . ….
बढ़ते चलो चाहे कैसी हो राहें
वक्त ने थाम रखी है बाहें
मंजिल तुमको पनाहें देगी
बढ़ने की आगे राहें बनेगी,
चलना ही तो है जिंदगानी
रुकना तो होगी ना दानी ,
तुम जो रचोगे इतिहास नया
वो तो होगा तुम्हारा मौलिक
पथ के हो राही तुम हो पथिक
थक के न हारो थोड़ा भी तनिक….
-अनिता शर्मा, इंदौर(मध्यप्रदेश )