तू वक़्त न यूँ ज़ाया कर ,
अल्फाज़ मेरे समझने में |
दिल से सुन ज़ज्बात मेरे ,
देर ना क़र तू समझने में ||
वो बात क्या जो कहनी पड़े ,
मै कुछ ना कहूं तू सब सुन भी ले ||
बात जो छुपी है दिल में
मज़ा क्या जुबाँ से उसको कहने में ||
जान न ले ये सारा जहाँ ,
यूँ प्यार का इजहार ना क़र |
कोशिश तो क़र के देख ज़रा
दिल से दिल को पढ़ने में ||
ख़्वाबों में तू आजा मेरे
मिलने की कोशिश ना क़र |
ये तू जाने या मै जानू ,
तू शोर ना क़र ज़माने में ||
क्या समझेगा ज़माना ये ,
दो दिलो की इन बातों को |
मै तेरे दिल में तू मेरे दिल में
चलो देर करो ना छुपने में ||
आँखों के ये राज हैं जो ,
आँखों में ही छुपे रहने दो |
जाहिर करो न यूँ इनको
खो जाने दो इन्हें सपने में ||
तू वक्त ना यूँ ज़ाया क़र ,
अल्फाज़ मेरे समझने
रीता सिंह
बैंगलोर