शंकाओं का शमन जरूरी है।
आतंकों का दमन जरूरी है।
आगे बढ़कर करें इसे संभव।
दुनिया भर में अमन जरूरी है।
श्रम से सींचें सभी इसे मिलकर।
अपना सुरभित चमन जरूरी है।
दुष्टों को तो सबक सिखाना है।
पूज्यों के प्रति नमन जरूरी है।
कलियुग ने तो किए बहुत करतब।
सतयुग का आगमन जरूरी है।
©प्रतापनारायण मिश्र