आत्मा चोला बदलती है—
“अरेरे. आत्मा तो चोला बदलती है- सब पुण्यात्माओ के लिये लोग-बाग
कहते थे/फिर उन्हें जब ‘आत्मा’ कहा था तो—-‘ चोला डालकर —–‘
कहीं सो गये होगे ? अभी तक- चोला बदल नही पाये
होगे – अरे रे गले से नया चोला उतरा ही नहीं
होगा…!! जानकर गले में अटका कर दिनभर मुझे
आवाज़े लगाते रहे होंगे /छुटकी की अम्मा…!!
छुटकी की …अम्मा—-
अच्छा मान लिया. चोला बदल लिया तो फिर – खरीदा किसने – क्यों ? lछुटकी की अम्मा
]]
का क्यों नहीं खरीदा ?? वो फिर उतार कर
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न चले गये हो -?? हे राम | अब याद आया– बहू रानी को जो फैशन डिज़ायनर की दुकान दी थी.. उसके शोरूम.. यानि दुकान को– जो उन्होंने ही
उसे खरीद कर दी थी- एक चोला/ डिजायनर चोला- चोली ले आये – होगे — ???
इतनी देर … दिन बीते महीना बीता- छुटकी के बापू कहाँ हो ———‘ छुटकी की अम्मा की
—- बाते दिल चीर गई———/वह फिर बड़बड़ाई फिर—
वह कह रही है .. अपना मोबाइल तो ले जाते – बात तो करते – पंडित आबैठते है- रुपया पैसा पूजा- और अब यह क्या मूर्ति में जा बैठे-हार धूप-पूजा – नया चोला पहना जी और हो कहां???
मूर्ति से बाहर निकलोजी! छोटी सी मूर्ति में दम घुट रहा होगा जी /उस दिन लाल मुँह वाले मटके में कोई कह रहा –
था – अस्थियां लाये है
मैं चिल्लाती रही छुटकी के बापू, –मैं इन हड्डियों को जोड़ कर पूरा पुतला बना दूंगी/फूंक मार मार कर अपने भी श्वासों को उसमे डाल दूंगी– ??.
सुनो जी! आत्मा ही गई थी तो समूचा छुटकी का बापू क्यों ले गये ??सुनो जी?? रुको जी -? चलो जी!! कहते कहते- वह मूर्ति में से अपने पति
देवता को निकाल लेने के लिए बढ़ी थी कि कुछेक हाथ———-
उसे पकड़ कर ले गये -/और किसी डाक्टर ने इन्जेक्शन ठोक दिया था
जब आँख खुली तो एक सन्नाटे ने आ, दबोचा-/ फिर धीरे धीरे बेटा-बहू नाती पोते सबकी आवाज़े आने लगी
फिर आंखो में शून्य समेटे प्रतीक्षा में है————- कब उनकी आत्मा के चोले में आत्मा, का फैशन डिज़ायनर -चोला बहु ले कर आयेगी-??
और याद आया बहू रानी से जो फैशन डिज़ायनर है उसके शोरुम .. यानि दुकान से खुद ही
बढिया चोला –और अपने-आप !!अपनी चोली भी खरीद लेगी!
ऐं !!!आत्मालाप– करते कभी हँसती फिर एक मोबाइल चुपके से लेकर बैठ गई /आत्मालाप के लिए ???वरना इन्जेक्शन ठोक देने को डाक्टर ताक लगाए जो बैठा था