कविता और कहानीग़ज़ल : वो कभी मिलते नहीं हैं admin2 years ago2 years ago01 mins वो कभी मिलते नहीं हैं पर हमें भूले नहीं हैं छू हमें महसूस भी कर देख हम सपने नहीं हैं कल इमारत भी बनेंगे हम फ़क़त नक़्शे नहीं हैं इब्तिदा हमसे हुई थी और हम पहले नहीं हैं क्या कहा है आपने जो हम अभी समझे नहीं हैं विज्ञान व्रत Post Views: 417 Post navigation Previous: हम अपना राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा कब, क्यों फहरायें ?Next: हर घर तिरंगा अभियान और देशभक्ति के मायने Leave a Reply Cancel replyYour email address will not be published. Required fields are marked *Comment * Name * Email * Website Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.