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आत्महत्या कोई विकल्प नहीं

नीट की परीक्षा उत्तीर्ण ना कर पाने के कारण स्वाति बहुत उदास हो गई थी। कुछ नंबर की ही कमी रह गई वरना पेपर निकल जाता। यह उसका तीसरा प्रयास था उसे पूरी उम्मीद थी कि इस बार क्वालीफाई कर लेगी। ऊपर से समाचारों में नीट की पारदर्शिता पर उठे सवालों से उसका मन और हताश हो गया था।

पापा समझ रहे थे उसकी स्थिति। उसके घर वालों ने उस पर कोई दबाव नहीं बना रखा था। फिर भी स्वाति अवसाद से ग्रस्त होती जा रही थी। उसके मम्मी-पापा ने उसे बहुत समझाया लेकिन बच्ची डिप्रेशन का शिकार होती जा रही है। सबसे बड़ा कारण था उसकी वह सहेली जो परीक्षा में सही से नंबर भी ना ला पाती आज टॉप लिस्ट में उसका नाम आ रहा था। अब तो भगवान से उसका भरोसा ही उठ रहा था। अत्यधिक कष्ट की अवस्था में उसे दिन में ही तारे दिखाई दे रहे थे।

स्वाति के पापा उसकी स्थिति समझ रहे थे। एक दिन स्वाति सो रही थी, पापा उसे देखने को आए तो देखा उसकी डायरी पास ही पड़ी है। वैसे तो वह उसकी डायरी नहीं पढ़ते थे लेकिन उस दिन क्या हुआ कि पापा ने वह डायरी खोल ली। डायरी पढ़ कर पापा पसीना-पसीना हो गए। क्योंकि स्वाति ने अत्यधिक अवसाद की अवस्था में अपनी जीवन लीला समाप्त करने का फैसला कर लिया था।

अपने बच्चों को ऐसा नहीं ऐसे नहीं करने दे सकते थे वो।

पूरी रात जागकर उसके मम्मी पापा उसकी निगरानी करते रहे। सुबह जब स्वाति उठी तो पापा उसको समझा कर बोले, “मन के हारे हार है। मन के जीते जीत।”

बेटा जिंदगी में उतार-चढ़ाव चलते रहते हैं पर जीवन फिर भी चलता है ना। यह जीवन बहुत कीमती है और इस पर तुम्हारा पूर्ण हक भी नहीं है। इसमें तुम्हारा माता-पिता की मेहनत और खून पसीना भी लगा हुआ है। तुम ऐसे कैसे सोच सकती हो इसे समाप्त करने की।”

पापा की बात सुनकर स्वाति बहुत तेज-तेज रोने लगी। मन का सारा विषाक्त गुब्बार बाहर निकल पड़ा। अपनी मम्मी पापा से लिपटकर बहुत सुकून महसूस हो रहा था उसे। उसके मन की सारी #कड़वाहट आज दूर हो गई।

स्वाति के पापा उसे समझाकर बोले अगर तुम्हारा चयन एमबीबीएस के लिए नहीं हुआ है तो बी ए एम एस में हो जाएगा। आयुर्वेद में भी अब बहुत विकल्प हैं। होम्योपैथी में भी कर सकती हो। आजकल डेंटिस्ट भी काफी बड़े स्केल पर कार्य कर रहे हैं। फिजियोथैरेपिस्ट की भी काफी मांग है।

अब स्वाति की समझ में आ गया कि परीक्षाएं तो जीवन भर चलती ही रहती हैं। उसके पास तो उसके परिवार का साथ है तो सारी मंजिले आसान हो ही जाएंगी। उससे ज्यादा नसीब वाला कौन होगा जिसको इतना अच्छा परिवार मिला। करियर के लिए तो वैसे भी बहुत विकल्प हैं। पर परिवार का कोई विकल्प नहीं होता। आज उसे सच्चाई अच्छी तरह समझ आ रही थी।

उसकी दादी की कही हुई बात भी आज उसे याद आ रही थी।

*किंचित भी सन्देह मत कर, भगवान के अस्तित्व पर।

संचित हुए तेरे पुण्य कर्म, जब यह मानव रूप मिला।

मात-पिता तेरे ईश्वर स्वरूप, क्यों करता है उनकी उपेक्षा।

सर पर छप्पर है पिता, माँ लिपटाती ममतामयी आंचल।*

कितनी भी परेशानी क्यों ना हो? कोई भी व्यक्ति या छात्र-छात्रा कितने ही अवसाद की स्थिति से क्यों ना गुजर रहा हो उसे कोई हक नहीं है अपनी जीवन लीला समाप्त करने का। जिंदगी और भी मौके देती है कुछ करने के लिए। जीवन समाप्त हो जाता है तो कुछ नहीं बचता, बचती है सिर्फ राख।

रह जाते हैं परिवार जनों की आंखों में सूखे हुए आंसू। जीवन का ढ़ोना और किसी की रिक्त यादें।

प्राची अग्रवाल (विश्व रिकॉर्ड होल्डर)

खुर्जा उत्तर प्रदेश

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