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आज़ादी हमारी

हिम्मत,ताक़त,शौर्य विहंसते,तीन रंग हर्षाये हैं !

सम्प्रभु हम,है राज हमारा,अंतर्मन मुस्काये हैं !!

क़ुर्बानी ने नग़मे गाये,

आज़ादी का वंदन है

ज़ज़्बातों की बगिया महकी,

राष्ट्रधर्म -अभिनंदन है

सत्य,प्रेम और सद्भावों के,बादल तो नित छाये हैं !

सम्प्रभु हम,है राज हमारा,अंतर्मन मुस्काये हैं !!

ज्ञान और विज्ञान की गाथा,

हमने अंतरिक्ष जीता

सप्त दशक का सफ़र सुहाना,

हर दिन है सुख में बीता

कला और साहित्य प्रगति के,पैमाने तो भाये हैं !

सम्प्रभु हम,है राज हमारा,अंतर्मन मुस्काये हैं !!

शिक्षा और व्यापार विहंसते,

उद्योगों की जय-जय है

अर्थ व्यवस्था,रक्षा,सेना,

मधुर-सुहानी इक लय है

गंगा-जमुनी तहज़ीबें हैं,विश्व गुरू कहलाये हैं !

सम्प्रभु हम,है राज हमारा,अंतर्मन मुस्काये हैं !!

जीवन हुआ सुवासित सबका,

जन-गण-मन का गान है

हमने जो पाया है उस पर,

हम सबको अभिमान है

भगतसिंह,आज़ाद,राजगुरु,विजयगान में आये हैं !

सम्प्रभु हम,है राज हमारा,अंतर्मन मुस्काये हैं !!

            —प्रो.शरद नारायण खरे

                 विभागाध्यक्ष इतिहास

      शासकीय जे.एम.सी.महिला महाविद्यालय

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