आओ हम मनाएं
आजादी का अमृत महोत्सव!
राष्ट्रोत्थान का लेकर नया संकल्प
करें नवभारत का नवनिर्माण
फहराएं तिरंगा…
दिखाएं विश्व को जब मन में हो दृढ़ इच्छा-शक्ति
सतत् आगे बढ़ने का अटल विश्वास
तब परिस्थितियों की समाधि में
चुप नहीं बैठता है मनोभावों का बीज
फूट पड़ता है पाषाणों को तोड़कर
पीपल के कत्थई कोपल की तरह
जबतक जीवित है मोदी- मन में
विचारों का सघन विराट फ़ौलादी बीज
पत्थर की चादर की तरह
उस पर नहीं पड़ेगा पुरानी परम्पराओं
और दकियानूसी प्रवृत्तियों का कोई प्रभाव
वह रचेंगे नये भारत का नया इतिहास
नये संसद भवन के नवनिर्मित आलीशान प्रांगण में
गूंजेगा : जन-गण-मन …का अमर गान
मेरा भारत सदा महान!!!
मेरे महान देश के लोगो!
यह है आजादी का अमृत महोत्सव
हमें विकसित विज्ञान-तकनीक-शिक्षा,खेल,अध्यात्म
नई नीति-प्रणाली पर है गर्व
तुम करो विश्वास–होगा सबका समुचित विकास
बढ़ेगी सबमें आत्मनिर्भरता की अटूट चेतना
घास-फूस बांसों के छप्पर इस्पात में बदलेंगे…
बंजर -रेतीली भूमि होगी उर्वर …
नगर- महानगरों से जुड़ेंगे गांव…
सबको मिलेगा आवश्यक उपचार…
बिजली की रोशनी फैलेगी घर-घर
नैतिकता ही राष्ट्र की सम्पदा है
नये राष्ट्र-निर्माण में स्वार्थ को तितांजलि देकर
नैतिकता को पनपाएं–बेटियों को पढ़ाएं
नई शिक्षा-नीति से जागृति की ज्योति जलाएं
हमारे बच्चे ही भविष्य के निर्माता हैं
जाति-पाति, ऊंच-नीच,अमीर-गरीब का भेद मिटाकर
सबको एक टाट पर बठाएं–आगे बढ़ाएं…
हम रखकर समुन्नत भारत का भाल
कह दें दुनिया से–हम हमेशा से विश्व गुरु रहे हैं
आज भी दे रहे हैं निशस्त्रीकरण का ,शान्ति का सन्देश
युद्ध किसी समस्या हल नहीं, मनुष्यता का दुश्मन है
राम-कृष्ण, गौतम-गाधी ने भी यही कहा था
सनद रहे: यह अमृत महोत्सव
हमारी नैतिक-चारित्रिक मनोवृत्तियों के उत्थान का
राष्ट्र की प्रगति का,सह-अस्तित्व से आगे बढ़ने का
चिर अमृत अभियान है!
डॉ.राहुल
साइट-2/44, विकासपुरी, नई दिल्ली-18