डॉक्टर सुधीर सिंह
आजादी का मीठा फल जब आम आदमी खाएगा,
तब तिरंगा आसमान में लहर-लहर लहराएगा.
अभी गरीबी गई नहीं है हिंदुस्तान के आंगन से,
मुक्त नहीं है आम जनता मजबूरी और शोषण से.
कृषि प्रधान देश की धरती आज भी असिंचित है,
बाढ़-सुखाड़ से दुखी किसान घर में बैठा चिंतित है.
कागज के रंगीन पन्नों पर खेत प्रतिवर्ष उपजता है,
आंकड़ों के जादूगर को बाढ़-सुखाड़ नहीं दीखता है.
वातानुकूलित कक्ष में ही फसल केआंकड़े सजते हैं,
दूसरीओर बदनसीब किसान रोज खुदकुशी करते हैं.
कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा को सुदृढ़ करना होगा;
नए-नए उद्योग लगाकर रोजगार सृजित करना होगा
योजना की राशि का कोई बंदरबांट कभी करे नहीं,
योजना को सरजमीन पर उतरने से कोई रोके नहीं.
निचले पायदान का आदमी जब संतुष्ट, सुखी होगा;
समावेशी विकास का रंग तब घर-घर दिख जाएगा.
जब युवकों को काम मिलेगा;भारत तब मुस्कुराएगा,
आजादी का सुस्वादु फल तब आम आदमी खाएगा.