सलामत रहे सारा जहान।
दिलों में बचा रहे ईमान।
आसमां के सितारों की तरह,
आलोकित रहे हिंदुस्तान।।
छल बल से नहीं चलता देश,
कुटिल रावण-सा धरो न वेष।
कुछ गुंडों के कोलाहल से,
कभी बदलता नहीं परिवेश।
नभ में कितने मेघ घने हों,
परंतु सूर्य निकलता ही है।
सत्य पर कई परदे डालो,
लेकिन सत्य है प्रकाशमान।
कई लोभी लुटेरे मिलकर,
सत्य को झूठ लगे बनाने।
आग लगाकर धुआँ उठाकर,
लगे द्वेष नफरत फैलाने।
जो भूले बिसरे गरीब हैं,
वे सब पाएंगे सहूलियत।
होगा उनका ठौर ठिकाना
और होगी उनकी पहिचान।
फिर चमन में क्यों सुलगी आग,
बिगाड़ रहा गरीब का भाग।
तुम करो सत्ता का व्यापार,
किंतु सत्य को करो स्वीकार।
समाया है जिन्ना का जिन्न,
तुम सबके दिलों विचारों में।
जो काम सत्य कर सकता है,
वो शक्ति कहाँ तलवारों में।
कपट ढोंग अब नहीं चलेगा,
जगा है देश का स्वाभिमान।
आसमां के सितारों की तरह,
आलोकित रहे हिंदुस्तान।।
कवि: अशोक कुमार सिंह
हजारीबाग झारखंड