एक सौ पचासवीं
जयन्ती मना रहा देश
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की,
पक्ष/विपक्ष मित्र/शत्रु
सभी दिखते हैं
गांधी के विचारों पर एकमत,
आज भी प्रासंगिक हैं
उनके विचार/ शिक्षाएँ,
तभी तो हुनर को
मिलने लगा सम्मान
स्वच्छता मन/तन की
घर/बाहर/आसपास की
ईमानदारी की शर्त
अपने लिए सबसे पहले
यही तो कहते रहे सदा,
सुना/पढ़ा सब लोगों ने
पर गुना नहीं
व्यवहार में पूरा
अपनाया नहीं,
अब वो समय आ गया है
गांधी के पढ़े विचारों को गुनें
व्यवहार में लायें,
सर्व धर्म समान,समरसता के
भाव को मन/ कर्म से जियें
छोटे से छोटे काम को
बड़े मन से करें,
स्वच्छ भारत श्रेष्ठ भारत की
परिकल्पना को साकार करें
गांधी के सपनों के भारत में
अपने सपने मिलायें
भारत को विश्व गुरु बनायें
कुछ इस तरह से अपने
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की
एक सौ पचासवीं जयन्ती मनायें
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डा० भारती वर्मा बौड़ाई