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कविता– “कोरोना”

हिन्दू है न ये मुसलमान कोरोना,

रक्तबीज राक्षस विषाणु कोरोना।

जो ग्रास बने हैं उन्हें उपचार चाहिए,

सबका इस व्याधि से बचाव चाहिये।

साबुन से हाथ धुलें मास्क लगाएं,

छींकें मुह ढ़क सामाजिक दूरी बनाये।

संक्रमण बचाना ही अचूक है इलाज,

जन जागरण से ही बचेगा ये समाज।

न हो सामूहिक पूजा न समूह में नमाज़,

लाकडाउन से मरेगा संचरण का बाज।

जो संक्रमित हुए हैं वो खुद सामने आयें,

जो संपर्क में थे वो क्वारेन्टीन हो जाएं।

सरकारी निर्देशों का अवश्य हो पालन,

कोविड उन्नीस का समूल करें शमन।।

भावुक

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