खिसक रही है ज़मीं पाँव तले से
और खौफ ज़रा नहीं जलजले से ।
अजीब दौर है आ गया अब यारों
खुदगर्जी फैल रही अच्छे भले से ।
न किसी को मतलब है किसी से
न कोई लगाता किसी को गले से ।
वो तो नफरत से देगा हर जवाब
पूछ रहे हो हाल गर दिल जले से ।
तू भी अजय किसे समझा रहा है
बात उतरेगी ही नहीं इनके गले से ।
-अजय प्रसाद