जन्मे कृष्ण कन्हाई आज
मैया मन ही मन हर्षाय रहीं ।
बगियन में फूले कुसुम विविध,
कोयलिया भी है गाय रही ।
वसुदेव देवकी व्याकुल है,
भय कंस का उन्हे डराय रही।
लै छाज में कान्हा को चले ,
गोकुल को राह है जाय रही।
सुर नर मुनि मन में पुलकित,
प्रभुदर्शन की बेला आय गयी।
लखि कान्हा भईं मुदित मात,
सारी ही नगरी है हर्षाय गयी।
प्रभु कर दो कृपा सबजन पर,
सबके अंखियों में प्यास जगी।
डॉ.सरला सिंह।
दिल्ली।