“मैडम आपको पता है जीनत ने साइंस छोड़ दिया है ।” रीना ने अपनी मैडम को जब सनसनीखेज अंदाज में बताया तो मैडम भी चौंक गयीं क्योंकि यह खबर ही अप्रत्याशित थी
“क्यों ,क्यों छोड़ दिया उसने साइंस वह तो मैथ्स
और साइंस में बहुत तेज थी।”
पता नहीं मैम ,वैसे इस समय वह किसी काम से
स्कूल में आईं हुई है , बुलाऊं क्या ?
“अच्छा स्कूल में आईं है,तो दौड़ के जा ,देख कहां है ,मेरे पास बुला कर ले आ।”मैडम ने
कहा।
जीनत विद्यालय में सबसे होशियार लड़कियों में एक थी। वह जितनी पढ़ने में होशियार थी
उतनी ही अन्य क्रियाकलापों में भी थी। चाहे
खेल हो या कोई सांस्कृतिक कार्यक्रम सबमें
अव्वल। बोलने में तो उसकी टक्कर की कोई
भी लड़की नहीं थी। किसी भी प्रतियोगिता के
लिए सबसे पहले उसका ही नाम लिया जाता था। दसवीं कक्षा में विद्यालय में दूसरे स्थान पर
थी। केवल कुछ महीने ही ट्युशन पढ़कर उसके
साइंस और मैथ्स में बहुत ही अच्छे नम्बर आये
थे।
आगे क्या करना है जीनत?
साइंस लूंगी मैम ?
बहुत बढ़िया , खूब मेहनत से पढ़ना ।
जी मैम।
ग्यारहवी में उसे साइंस मिला तो बहुत ही
खुश हुई थी।
एक महीने बाद रीना से पता चला कि जीनत ने साइंस छोड़कर कॉमर्स ले लिया है। संयोग से
वह उस दिन किसी काम से विद्यालय आई थी तो शिक्षिका ने उसे अपने पास बुला लिया।
“क्या हुआ जीनत तुमने साइंस क्यों छोड़ दिया
कठिन लग रहा है क्या ?”
“नहीं मैम कठिन तो नहीं है पर ऐसे ही छोड़ दिया ।अब कॉमर्स ले लिया है।”
जब कठिन नहीं है तब कर्मों छोड़ दिया ?
“ऐसे ही मैम मेरे पिता जी नहीं चाहते कि मैं
साइंस लेकर पढ़ूं। उन्होंने ही विद्यालय में आकर
स्वयं मेरा साइंस से कॉमर्स में विषय बदलवाया
था। उनका कहना है कि अगर पढ़ना है तो तुम्हें
कॉमर्स लेकर पढ़ना पड़ेगा। मैं क्या करती?”
“और मम्मी ? मम्मी से बात करती। “
” मम्मी की तो बात ही मत करिए मैम वे कुछ नहीं कहेंगी।”
“मम्मी को अपनी तरफ मिला लो ना।”
” नहीं मैम मम्मी तो घर में पढ़ने तक नहीं देतीं,कहती हैं स्कूल में पढ़ लिया,ट्यूशन में पढ़ लिया बस बहुत है। अब तुम लोग घर का काम निपटाओ।”
“कहीं नौकरी करती है क्या ?”
” नहीं मैम कोई नौकरी नहीं करतीं ,बस बैठी
रहती हैं टीवी देखती है या अड़ोस-पड़ोस में
घूमती रहती हैं।”
“कोई बात नहीं बेटा तुम लोग फटाफट काम
निपटाकर पढ़ने बैठ जाया करो।”
“नहीं मैम कितना भी काम निपटा लो पर वे
पढ़ने नहीं देती।”
” फिर तो तुम रात में पढ़ा करो। दिन में थोड़ा सा आराम कर लिया करो, आखिर क्या करोगी।”
मैम वे रात में भी नहीं पढ़ने देती कहती हैं कि
रात में शैतान पढ़ता है।
शिक्षिका का दिमाग चकरा गया क्या ऐसे
भी मां-बाप होते हैं। जहां बच्चे पढ़ना चाहते हैं
वहां उनके सामने कैसी-कैसी अड़चनें आकर
खड़ी हो जाती हैं। वे कुछ देर तक सोचती ही
रह गयी की इस लड़की को क्या सलाह दें।
ऐसा करो कि अपनी मम्मी को बुला कर लाना
देखते हैं क्या कहती हैं?
नहीं मैम कोई फायदा नहीं है मेरी मैम ने बहुत
कोशिश की थी ,वे किसी की भी नहीं सुनतीं है।
अपना मकान है या किराए का ?
नहीं मैम अपना मकान है।
फिर क्या तुम चारों बहनें एक कमरे में सोया
करो। और टेबल लैंप जलाकर चुपके से पढ़ाई
किया करो।
अरे मैम क्या कह रहीं हैंआप ,उनको पता चल गया तो किताब कापी ही फाड़कर फेंक देंगी।
शिक्षिका ने अपना सिर पकड़ लिया ।वे बहुत
दिनों तक उन लड़कियों के बारे में ही सोचती
रहीं, विशेष रूप से ज़ीनत के बारे में।
कुछ समय बाद जीनत फिर स्कूल में आईं
अबकी बार उसका चेहरा बुझा हुआ नहीं था।
उसके कंधे पर लैपटॉप था । चेहरे पर चमक थी ।
“नमस्ते मैडम ! आपकी दुआ के असर से चमत्कार हो गया । अब मैं फिर साइंस ही पढ़ रही हूँ ।“ ज़ीनत मुसकुराते हुए बोली ।
“अरे! वाह , पर ऐसा कैसे हुआ ?”
“मेरे मामू दुबई में हैं और नाना भी । उन्होने माँ से बात करने को कहा । नाना जान अम्मी को देखना चाहते थे मगर सिर्फ बात ही हो पाती थी । अम्मी स्मार्ट फोन के खिलाफ थीं । तभी मुझे सरकार की तरफ से ये लैपटॉप मिला था मेरे दसवीं के नंबरों की वजह से । “
“फिर क्या हुआ ?” शिक्षिका ने पूछा ।
“मैंने अम्मी की बात अपने लैपटॉप की मदद से नाना जान से कारवाई। मैंने मामू से भी कहा कि मैं साइंस पढ़ना चाहती हूँ । तब मामों ने अम्मी को समझाया कि ज़ीनत का दिमाग अगर साइंस में अच्छा है तो उसे साइंस पढ़ने दो । उसे जीवनभर किसी का मुनीम बनाने से क्या फाइदा …क्या पता ज़ीनत भी कल्पना की तरह मुल्क का नाम रौशन करे ।“
“तो क्या अम्मी मान गईं ?” शिक्षिका ने हैरत से पूछा ।
“नहीं , पहले तैयार नहीं थीं पर जब मैंने कहा कि साइंस न होता तो आज आप नाना से बात न कर पातीं । साइंस न होता तो दवाएं न होतीं ये सारी मशीने नहीं होतीं और आज भी हम जंगली होते। बहुत बहस के बाद अम्मी हँस पड़ी । उन्होने कहा कि एक बार चाँद की सैर मुझे भी कराना । तब मैंने उन्हें नासा के कई वीडियो दिखाये अपने लैपटॉप पर । अम्मी बहुत खुश हुईं और जानती हैं आप …मुझे साइंस में सबसे ज्यादा नंबर मिले हैं । मैडम ने अम्मी के सामने ही क्लास में मेरे लिए तालियाँ बजवाईं। अब अम्मी ज़ीनत की दोस्त हैं। “ ज़ीनत चहकते हुए बोले जा रही थी ।
शिक्षिका की आँखों में एक नई कल्पना चावला का चेहरा था ।
डॉ सरला सिंह
दिल्ली