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डॉक्टर सरोजिनी प्रीतम कहिन

आदर्श

छात्र ने कहा-आचार्य

महासमर के लिए आदर्श स्थिति कहो

वे हंसकर बोले’- आखों पर पटटी-/                   बुद्धि पर पर्दा

और सेनापति – धृतराष्ट्र हो

ठाठ

धोबी के कुत्‍तों के

न तो – घर –घाट

फिर भी – अलग ही ठाठ

 नमक

आमलेट खाने लगे … स्‍वाद बिगड़ गया

पत्‍नी पर चिल्लाये … घर में नमक नहीं क्‍या ?

गुस्‍से से पांव पटकते हुए पत्‍नी –

जले पर नमक छिड़कती है

”आप ही तो कह रहे थे … आपको

हरेक मुर्गी – काफी नमकीन लगती है

मिलावट

शराब छलकाती आखों में

अश्रु छलके / तो उन्‍होंने पोंछे

बोले – शराब नमकीन हो जाती है

इन्‍हें – तो   रोके

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