जीवन में हो सादगी, ऊंचे रहे विचार
सफर जिन्दगी का कठिन,नही मानना हार
अच्छी चीजों को चुनो,अपनाओ सद्भाव
अच्छा बनने के लिए,खुद में करो सुधार
झूठ,कपट,दुर्भावना, द्वेष फेंक दो दूर
अवगुण सारे त्याग दो,हो अच्छा व्यवहार
संस्कार के फूल से, महके सकल जहान
संचित गुण का कोष हो,गुण का हो विस्तार
मोह माया अन्धियार है,करे खुशी का अन्त
छोड़ तिमिर की जिन्दगी,कर जीवन उजियार
फूल खिला सदभाव के,रोप प्रेम के बीज
सेवा कर बीमार की,कर दुखियों से प्यार
शालिनी शर्मा
गाजियाबाद