धरती पर अनमोल रत्न और खुशियो का संसार है नारी
घर की बढ़ती जिससे रोनक , ऐसा अदभुत श्रंगार है नारी।
लहराती फूलों की बगिया और चन्दन सी शीतल है नारी
दिखाती है जो सबको रास्ते,
ऐसी अदभुत रोशनी है नारी।
सह लेती हर कष्ट को हंसकर,
सहनशक्ति की देवी है नारी
ढक लेती हर दुःख की धूप,
ऐसी सुख की छाया है नारी।
खुद जलकर जो रोशनी फैलाये,
दीपक की ऐसी बाती है नारी
जिसके बिना सब सूना – सूना,
ऐसा जिंदगी का एहसास है नारी।
मनु बालियान