ना होते ग़र ये बहादुर सैनिक
सीमा पर तैनात
आराम से बैठकर घर में
ना ले पाते हम चैन की साँस
ना खाते ग़र ये वीर भारत माँ के
अपने सीने पर गोली
ना मना पाते हम निज घरों में
अपनेपन की रंगोली
ना होते ग़र ये भारत माँ
के वीर जवान
निज परिवार संग ना मना पाते
हम कोई उत्सव और त्योहार
ना होते ग़र ये बहादुर सैनिक
जो कर देते देश की ख़ातिर
न्यौछावर अपनी जान
ना दे पाते हम अपने सपनों को
खुले आसमाँ में
उँचा उड़ने को पंखों की उड़ान
ना खड़े होते ग़र ये सीमा पर
बनकर प्रहरी
देश की बन कर ढाल
ना जी पाते हम जीवन अपने
घरों में शांति और सुकून का
ना होते गर ये
भारत की गर्वित मिट्टी के रण बाँकुरे
ना दे पाते ख़ुशियाँ हम
घर बैठे अपने नन्हें मासूमों को ………priyamvada ‘पीहू ‘ (वंदना)