डॉक्टर सुधीर सिंह
पिता की वाणी में मिठास व माधुर्य कम,
अनुशासन का कड़वापन बहुत रहता है.
जिस संतान ने इस रहस्य को समझ लिया,
उसका पारिवारिक जीवन सुखी रहता है.
पिता को चिंता है बच्चों के भविष्य की,
इसलिए संतान को वह पुरुषार्थी बनाता है.
निष्ठुर,अनुशासित एक दृढ़ गुरु की तरह,
चुनौतियों से लड़ कर जीतना सिखाता है.
पिता शत्रु लगता है बाल्यकाल में सबों को.
बाद में वही उनको सराहने लग जाता है.
पिता संतान के लिए एक हमदर्द दोस्त है,
बच्चों को जो सदा स्नेह-सहयोग बांटता है.
पुत्र जब बाप बन कर संतान को पालता है,
उसको तब बूढ़ा बाप सामने नजर जाता है.
मन ही मन पिता केअनुशासन को यादकर,
योग्य संतान बनाने हेतु नुस्खाआजमाता है.