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बसंत : डॉक्टर सरला

आयो बसंत मधुमाह सखी ,

सब ओर सुहानी ऋतु छाई ।

वृक्षों ने नवपत्र किए धारण,

कलियां धीरे से मुस्काईं ।

गीत सुनाती कोकिल देखो,

भौंरे  भी  राग   सुनाते  हैं ।

अम्बर खुश है देखो कितना ,

देख  धरा   मुस्काई   है ।

आयो बसंत मधुमाह सखी ,

सर्वत्र खुशी – सी छाई है ।

आम्रबौर  की  फैली  सुगंध ,

जामुन  भी   इतराई   है ।

खुशियां छलके चहुँ दिशि देखो,

उत्सव पावन भी आया है ।

धरती ने धारण नववस्त्र किए,

अम्बे भी जगत में आई हैं ।

 खुद मे लिए खुशियां अपार ,

मंगल ही मंगल ध्वनि छाई ।

आयो बसंत मधुमाह  सखी ,

चहुँ ओर उमंग -सी छाई है ।

चलता पवन भी मस्त चाल,

जीव -जगत हर्षित  अपार ।

पावन -वेला   आई   है ,

आयो बसंत मधुमाह सखी ।

  डॉ. सरला सिंह ‘स्निग्धा’ ।

   दिल्ली

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