नई स्कूटी लेकर आया राजू भालू,
उसका दोस्त चिम्पू बंदर है बहुत चालू।
मीठी बातो से राजू को बहकाता,
रोज उसकी स्कूटी मजे से चलाता।।
एक दिन चिम्पू का चौराहे पर कटा चालान,
बिन हैलमेट पहने स्कूटी चलाता सीना तान,
करी बहुत मिन्नते मिट्ठू तोता हवलदार की,
पर फिर भी तोते ने उसकी बात ना मानी,
चिम्पू ने चालाकी से राजू नाम से चालान कटाया।
बाद में चालान भरूँगा ये कहकर मिट्ठू को
स्कूटी के पेपर पकड़ाकर घर वापस आया।।
नोटिस आने पर चिम्पू बन गया अनजान,
चालान भरा राजू ने फिर दोनों की बरसो की
अच्छी खासी दोस्ती को लगा विराम।
चालाकी से दोस्ती कभी भी ना चल पाती।
आज नही तो कल वो खत्म हो ही जाती।।
नीरज त्यागी