Latest Updates

भगतसिंह

एक क्रांति जब उठी देश में,

भगतसिंह के नाम से।

थरथर कांपी थी अंग्रेजी,

उस किशोर के काम से।।

भाव भरा था देशप्रेम का

जिसकी चौड़ी छाती में।

जन्मा था वो लाल भगत

इस भारत की माटी में।।

निश्वार्थ लड़ा ना चाह रही

कोई जीवन को जीने की।

बार दिया तन मन सब

कर दफन इच्छायें सीने में।।

बनना है तो भगत बनो

कुछ त्याग करो तुम जीवन में।

पाल रहे हो द्वेष भावना क्यों

अपनों से ही मन में।।

एक जाट जो हँसकर के

फांसी का फंदा झूल गया।

एक जाट जो जाटों के

बलिदानों को ही भूल गया।।

इतिहास रचेगा पुनः तभी

जब तुम कुछ करके दिखलाओ।

एक बार मन से मन जोड़ो

युवाक्रांति को तुम लाओ।।

———————

राणा भूपेंद्र सिंह

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *