Doctor Sudhir Singh
कर्म ही पूजा है और श्रम ही साधना है;
‘मजदूर-दिवस’ यही सबको सिखाता है.
जो भी जीवन जीता हैअकर्मण्य रहकर,
संपूर्ण देश के साथ वहअन्याय करता है.
1मई सबों को यह याद दिलाने आता है,
सभी लोग क्ष्रमिक हैं;सब क्ष्रम-साधक हैं,
संसार में जितने भी विकास कार्य हुए हैं,
सबके लिए मजदूर भाई क्ष्रम-संवाहक हैं.
विकसित विश्व का खिलखिलाता मुखरा,
क्ष्रमिकों के कठिन परिश्रम का ही फल है.
उन्हीं के ही कठोर साधना के फलस्वरूप,
आधुनिक संसार आज इतना सुखमय है.
‘कर्मयोग’ गीता का अनुकरणीय संदेश है,
‘मजदूर-दिवस’ में उसका ही तो सम्मान है.
समाज में क्ष्रमिकों को उचित इज्जत मिले,
उनकी कड़ी मेहनत राष्ट्र का स्वाभिमान है.