लघु कथा,
👉वह कौन था!—
बात उस समय की है जब वही अपना देश आजाद हुआ था।लोगों मेंईमानदारी तो थी ही पर संसार में बेईमानों की कोई कमी नहीं होती ।एक गाँव था जिसका नामधर्मराजपुर था उसी गाँव के निवासी थे भोला पंडित ।उससमय भोला पंडित के पास खेती करने लायक जमीन तो थी ही यही कम से कम 18 बीगहे के लगभग ।जिसमें 8बीगहे गाँव के पूरब की तरफ और10 बीगहेगाँव केठीक पश्चिम तरफ़उसीके बगल में एक छोटी सी नदी भी बहती थी।परन्तु उस नदी में हमेंशा पानी नहीं रहता था ।गाँव के चारो तरफ हरियाली खुशियाली भरपूर थी।
पूरेगाँव में एक ही कमी सबको खटकती थी क्योकि सभी के मकान कच्ची मिट्टी के दीवारों के बने हुए थे ।उस जमाने में चिमनियाँ कम थी इस लिए लोगों के पास पके ईंटों के मकान कम हुए करते थे।कुछ समय बाद गाँव के लोगों ने एक चिमनी वाले को गाँव की जमीनों पर ईंट की
भट्ठा लगाने को कहा ।भट्ठेवालेने जमीन की लागत भुगतान के रूप में किसी को पैसे दिये तो किसी को पके ईट देने के लिए स्वीकृति के रूप मे लेखपुस्तिका बही खाते पर हस्ताक्षर किया और कराया।
समय बीतता रहा भट्ठामालिक ने गाँव के सभी बृक्ष बड़ , पाकड़ आम,पीपल,साखू ,महुआ,शीशम,बेल, नीम आदि सभी मानव स्वास्थ्य रक्षक पेंड़ को काटकर ईंट पकाने हेतु भट्ठे में उपयोग किया ।जिसके द्वारा हानिकारक धूयें से सभी फल दार पेंड़रोगीहोकर सूखने लगेऔर मनुष्य तथा पशु सभी बीमार होने लगे।परन्तुआधुनिक मकान बनवाने कीहोड़ में लोगों ने जीवनदाई एवं प्राणपुष्टिका पेंडो़ की घटती आबादी पर तनिक भी ध्यान नही दिया।पूरे गाँव में चिमनी लगने के विषय में एक ही
आदमी ने विरोध किया था वो थे भोला पंडित!
समय बीतता रहा लोग अपना घर आधुनिक तरीके से बनवाते रहे
नदियों के जल और बृक्षादिकों के फल नष्टप्राय और स्वादहीन होते रहे।कुछ समय बाद भोला पंडित पर संकटघनघोर बादलमड़राने लगे।दरअसल मेंनदी के पास ही भोला पंडित की 10बिगहे जमीन परती पडी़हुई थी जिसमे गाय भैंस सभी चरती रहती थीऔरभट्ठा भी वहीं पास में था।
भट्ठा मालिक केमाँगने परजमीन देने से इनकार भोला पंडित सुरू से ही करतेरहे थे।लालची भट्ठावाले नेभोला पंडित के जमीन का अतिक्रमणकरना आरम्भ कर दिया।भोला पंडित नेप्रथम तो अनुनय विनय किया तत्पश्चात ग्राम प्रधान केयहाँ पंचात कराई।परन्तु सभी लोगों ने भोलापंडित कोआधुनिक विकाश का विरोधी करार दिया।किन्तु फिर भी वे हार नहीं माने।उनके जमीन पर अतिक्रमण हो चुका था।भोला पंडित अन्य और कई दूसरे ग्राम प्रधानों को पर्यावरण के बारे प्राचीनतम् विज्ञान पद्वति से सुधार और विकाश की प्रक्रिया से अवगत करायाऔर चिमनी वाले का विरोध करते रहे हिम्मत नहीं हारे ।भोला पंडित नेपर्यावरण वेद् विज्ञान का जो दीपक प्रज्वलित किया था उससे शनैः शनैः करोंणों दीप जलने लगे।
भोला पंडित कुशल कथावाचक भी थे ।एकसमय वे कहीं दूर स्थान पर श्रीमद् भागवत कथा अनुष्ठान में चलेगये अचानक उसी दर्म्यान उनके गाँव में एक अज़नबी ब्यक्ति पहुँचा जिसको कोई जानता पहचानता तक नही था।कौन है
वह उसको गाँव वाले और पंडित तथा उनके परिवार जन कोई नहीं जानता है। वह अज़नबी सीधे भट्ठामालिक के पास गयाऔरकुछ कागजातों पर हस्ताक्षर करवायेऔर भोला पंडित के घर पहुँचा।भोला पंडित की धर्म पत्नी अपने 10 वर्षीय पुत्र के साथ शतपत्र और बृन्दा बृक्ष की क्यारियों की सेवा में लगे हुये थे।अचानक एक अज़नबी की आवाज आती है ! भोला पंडित !-भोला पंडित!भोला पंडित का दशवर्शीय पुत्र दिवाकर अभिवादन की मुद्रा मे स्वागतम् अतिथि नमस्तुभ्यम् आसन ग्रहण
करें!परन्तु वह महा उपकारी अपरिचित पुरूष भट्ठा मालिकसे हस्ताक्षरित काग़जात दिवाकर और उसके माँ को देकरके कहता हैअब से आप के इच्छा के विना कोई आपके भूमि का अतिक्रमण नही करेगा।
और इस गाँव से भट्ठा भी कोसों दूर चला जायेगा ।
इस गाँव में अब से सभी स्वस्थ रहेंगे कोई बीमार नहीं होगा!
इतना कहकर वह कुछ दूर खडी़ साइकल पर बैठा और उत्तर दिशा की ओर तीब्र गति से जाता हुआ अदृश्य हो गया ।
भोला पंडित जब श्रीमद् भागवत कथा संपन्न करके अपने घर लौटे तो अपने ज़मीन को भट्ठामालिक से मुक्त देखा तो उनके हर्ष की सीमा न रही और आश्चर्य हो पत्नी और पुत्र से पूछने लगे कि यह हुआ कैसै तो पुत्र और पत्नी ने उसमहान परोपकारी के उपकार गाथाओं को बताने लगे तो भोला पंडित नेआश्चर्यचकित होकर
👉 अरे वह कौन था !!
वह कौन थाजो हमारे लिए भगवान बनकर आया उसके उपकार के हम चिरकालिक ऋणी हैं।
जो इतना बडा़ उपकार हम पर किया और नाम तथा परिचय तक नहीं बताया !
भोला पंडित के आत्मा में बस उस अजनबी के प्रति प्रेम के स्वर ध्वनित हो रहे थे–वह कौन था!-वह कौन था!-वह कौन था!?
लेखक 👉कवि उमाकान्त तिवारी प्रचण्ड, बस्ती,उत्तर प्रदेश,