हर बाधा को स्वीकार करें।
लड़ कर भी उसे पार करें।।
हर बाधा को स्वीकार करें…।
यूँ ज़िन्दगी कहाँ आसान निकलती हैं।
कहीं शोर तो कहीं शांत ही चलती हैं।।
हर बाधा को स्वीकार करें…।
संघर्ष को पार करके जो चलते हैं।
फ़िर वो ही नर फलते औऱ फूलते हैं।।
हर बाधा को स्वीकार करें…।
अब मेरे जीवन का लक्ष्य और कठिन करो।
चाहे राह में बालू फ़िर से तुम महीन करो।।
हर बाधा को स्वीकार करें…।
कब इन बाधाओं ने हमारा पीछा छोड़ा हैं।
इन बाधाओं से कब किसने पथ मोड़ा हैं।।
हर बाधा को स्वीकार करें…।
आओ कठिन राहों को हम स्वीकार करें।
फिर मिली विजय का जय-जयकार करें।।
हर बाधा को स्वीकार करें…।
“कु. महेन्द्र पालीवाल”
“सिरियारी ( पाली )”