1
जब जब बीमार मैं पड़ती हूँ
पति मेरे प्रेम पूर्वक
रूबाब मुझे दिखाते है
ख्याल नही रखती अपना
सैर भी तेरी बंद है
दूर मैं तुमसे रहता हूँ
फ्रिक तुम्हारी करता हूँ
नौकरी छोडूँ , घर बैठूँ
बोलो , तुम क्या कहती हो
2
जब जब बीमार मैं पड़ती है
पति मेरे , दोस्त बन
फिर मुझको पास बुलाते है
धीरे से समझाते है
सुबह की चाय बंद करो
दूध बादाम लिया करो
कसरत थोड़ी किया करो
स्नेह मैं तुमसे करता हूँ
पर कहने से झिझकता हूँ
कंचन गुप्ता