हिन्दी दिवस सिर्फ एक ही दिन नहीं…
ये तो मेरी रूह की भाषा…. नित प्रतिदन ही हिन्दी दिवस हैं…✍️
हिन्दी मेरे
जज्बातों का गहना,
संवाद से संवेदनाओं
का झरना
मन के भावों का उपवन
अन्तर्मन का सफर
साहित्य सृजन का नमन
मेरे भावों की सहेली
मनकानन की चितेरी
ज्ञान की रसधार में
डूबी सरीता
जीवन जीने की उंमग
मेरे एहसासों की
मलय पवन
मेरी दुआओं का ताबीज़…… ख्वाबों का आशियाना
मेरे शब्दों की मंदाकिनी
मेरे नैनन के नीर
प्यार का इजहार – ए-समुन्दर
मेरी रूह की जागीर
मन्नत का धागा
जन्नत की आस
दिल के पास
तन्हाइयाँ,अकेलापन,
मजबूरियाँ, सन्नाटा
खुशियॉं, आनन्द
प्यार, मोहब्बत
ये दस्तूरे जहाँ सबकुछ
तो तेरे से इजहारे बयां हैं..
हर पल हर लम्हा
तू मेरी रग-रग में
कण-कण में
रचीं बसी
मैं तुझमें,
तू मुझमें
बहती अविरल
अनवरत…
शिखा पोरवाल
वैंकुवर कनाड़ा