मंजू लता (राजस्थान_
आज का दिन मेरे लिए बहुत ही खुशी का दिन होता है । आज मेरे विषय हिन्दी को सम्मान दिया जाता है । हमारे भारत में पूरे साल भर हिन्दी भाषा के साथ उपेक्षित व्यवहार किया जाता है । आज के दिन को हिन्दी दिवस मनाकर इतिश्री कर ली जाती है । वर्तमान समय में हिंदी भाषा लोगों के बीच से कहीं-न-कहीं गायब होती जा रही है और अंग्रेजी ने अपना प्रभुत्व जमा लिया है। यदि हालात यही रहे तो वो दिन दूर नहीं जब हिंदी भाषा हमारे बीच से गायब हो जाएगी। हमें यदि हिंदी भाषा को संजोए रखना है तो इसके प्रचार-प्रसार को बढ़ाना होगा। सरकारी कामकाज में हिंदी को प्राथमिकता देनी होगी। तभी हिंदी भाषा को जिंदा रखा जा सकता है।
भारतेन्दु हरिशचंद्र ने सही कहा है कि
निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।
बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल।।
विविध कला शिक्षा अमिट, ज्ञान अनेक प्रकार।
सब देसन से लै करहू, भाषा माहि प्रचार।।
हिंदी को हमारे भारत में सबसे अधिक बोला जाता है इसलिए इसे राज भाषा का दर्जा प्राप्त हुआ है। हिंदी भाषा को जन-जन की भाषा के रुप में भी जाना जाता है।
भारत देश आजाद होने के बाद पश्चात 14 सिंतबर 1949 को संविधान सभा द्वारा यह निर्णय लिया गया कि हिंदी देश को देश की राजभाषा बना दी जाएगी। यही कारण था कि हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रुप में मनाया जाता है।
हिन्दी विश्व में बोली जाने वाली प्रमुख भाषाओं में से एक है। विश्व की प्राचीन, समृद्ध और सरल भाषा होने के साथ-साथ हिन्दी हमारी ‘राष्ट्रभाषा’ भी है। वह दुनियाभर में हमें सम्मान भी दिलाती है। यह भाषा है हमारे सम्मान, स्वाभिमान और गर्व की। हिन्दी ने हमें विश्व में एक नई पहचान दिलाई है। वर्तमान में हिन्दी भाषा विश्व में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली तीसरी भाषा है।
धीरे-धीरे हिन्दी भाषा का प्रचलन बढ़ा और इस भाषा ने राष्ट्रभाषा का रूप ले लिया। अब हमारी राष्ट्रभाषा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी बहुत पसंद की जाती है। इसका एक कारण यह है कि हमारी भाषा हमारे देश की संस्कृति और संस्कारों का प्रतिबिंब है। आज विश्व के कोने-कोने से विद्यार्थी हमारी भाषा और संस्कृति को जानने के लिए हमारे देश का रुख कर रहे हैं। एक हिन्दुस्तानी को कम से कम अपनी भाषा यानि हिन्दी भाषा तो आनी ही चाहिए, साथ ही हमें हिन्दी का सम्मान भी करना सीखना होगा।
इसी के माध्यम से हम अपने विचारों को संप्रेषित कर पाते हैं। भाषा नहीं हो तो विचारों का प्रकटीकरण संभव नहीं है। जीवन में भाषा का बहुत बड़ा महत्व होता है। एक हमारी भाषा ही तो होती है जो हमारे अन्दर सभ्यता और तहजीब का विकास करती है। प्रत्येक देश की अपनी अलग भाषा होती है उस देश के वासियों का फर्ज बनता है कि हमेशा अपनी मातृ भाषा का सम्मान करना चाहिए। भाषा भावनाओं को व्यक्त करने का एक मात्र जरिया है।अंत में मेरा यही कहना है कि हिन्दी हमारी राज भाषा के मातृ भाषा भी है, जिसका सम्मान करना हम सभी का कर्तव्य है। हिंदी भाषा को संजोए रखना है तो इसका प्रचार-प्रसार करना होगा।