डॉक्टर राहुल
हिमगिरि कहता गर्वित होकर
हम भी यहाँ खड़े हैं
तुम सा कोई नहीं बहादुर
जो भी बड़े-बड़े हैं।
अगर सहेलिया चीन से अपनी तुमने अब की हार
अत्याचार करेगा तुम पर वह फिर बारम्बार।
चूर-चूर हो जाये उसके अपने सारे ख़्वाब
इसलिए देना है उसको अब मुहँतोड़ जवाब।
चालबाज है धूर्त कमीना करता मीठी बात
पीछे से छुपकर करता है हम पर ही आघात।
सन बासठ से अब तक उसने चली है घातक चाल।
किंतु गली न सरहद पर अब तक उसकी दाल।
वीर जाबांज हमारे सैनिक,
देते उसे ढकेल,
जब भी उसने किया तनिक है
अपना कुत्सित खेल।
फिर मौका आ गया आज है उसको सबक सिखा दो,
अपना अद्भुत रण-कौशल तुम दुष्टों को दिखला दो।
तुमने रोका यहाँ सूर्य के रथ को बढ़कर आगे,
मारुति-गति को मोड़ा तुमने, कुटिज-कुचक्री भागे।
महाकाल-सा बनकर टूटो कड़-कड़ कर खा जाओ,
गूंजे रणभेरी सरहद पर सबको आज जगाओ।
ड्रेगन भी तुम लख दहले – हिंद की सेना भारी
दस-दस चीनी को मारेगे अब की हार हमारी।
भारत माँ देखती तुम्हारी
तरफ उठाकर आँखें
तुम हो जयी, विजय सदा हो
बनी रहे ये साखे।
डोकलाम गलवान, हमारा अक्साई चीन भी लेंगे
तुमने अब तक जो भी हड़पा… एक इंच न देंगे।
मिले शेर को सवासेर जब मुँह की खा जाता है
तब उसके सम्मुख भविष्य में हरगिज ना आता है।
राम-कृष्ण, शिवा-राणा बन अड़ो, देख शत्रु थर्राये
गीदड़-सा दुम को दुबकाकर चीनी सेना छिप जाये।
अग्नि-रूप धर लंक जलाओ, आये नानी याद
गद्दारों की नस्लों को भी कर दो अब बरबाद।
नहीं शहादत व्यर्थ तुम्हारी
जाएगी हे वीरो!
गाएगी पीढ़ियाँ युगों तक
कीर्ति सर्वदा वीरो!