श्वेत वसन दाढ़ी सफ़ेद
खाली दिखते हाथ
चेहरे पर हैं झुर्रियां
दीखे मलिन सी गात
काम क्रोध मोह लोभ से
इसका क्या सरोकार
ये तो एक फ़क़ीर है
जग इसका परिवार
पाकर चंद सिक्के ही
दे झोली भर आशीष
ये दुनिया तो फ़ानी है
देता सबको ये सीख
सब धरा रह जाएगा
मोह न किसी से रख
राम नाम का अमृत
बस इन होठों से चख
नीलोफर ‘नीलू’