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सिसकती भारत माँ

तकनीकी व विज्ञानं अग्रसर करते भारत को नव वर्ष २०२३ की शुभ कामनायें

(गंगा मैया के मेलेपन का निवारण करते शहीद का जो असमय ही छोड़ गया)

सिसकती होगी भIरत माँ भी अपने शहीद ऐकला चलो भारतीय अन्वेषक पर

जिसने अपना सारा जीवन त्याग दिया निस्वार्थ रूप तपस्वी बन उसकी सेवा कर

खायी थी कसम जीवन में उसने गंगा माँ का जल साफ करूँगI खोज नयी तकनीक कर ,

जो आजतलक न खोजी पायी कई विदेशी साइंसदानो से

जो लूट गए अपने भारत को झूठे लारे दे अपने भारतीय नेताओं व विद्वानों को I

इसी कसम के पालन में उसने अपना सारा जीवन बिता दिया दिनरात किया

जो बचत थी अपनी परिवार की भी बैंकों से उधारी ले कर सब उसमें लगा दिया

विश्वास उसे था अपनी क्षमता पर, उस ईश्वर पर व अपनी देश प्रेम संस्कारों पर

डिगने न दिया प्रण को झेलता रहा हर दुविधा को जो भी आयी उसके पथ में

यद्यपि नहीं मिल पाया सहयोग किसी का , क्या नेता या किसी अनुदानी का I

ऐसी आर्थिक विभीसत्य परिस्थितयों मैं भी रह कर कार्यस्थल को न उसने छोड़ा

खोजी दो नयी तकनीकियां पानी की जो समुन्द्र जल व गंगा यमुना जल साफ करे

और शुद्ध करे हर उद्योगिक निकासी गंदे जल को कम कीमत पर व आसानी से

विशेष बात तकनीकों की यह पूर्ण रूप दुनिया भर के विशेषज्ञों से निरीक्षित हैं

ठोक बजायी अनुरूप उसी के दोनों तकनीक इंडिया व अमेरिका से पेटेंटेड हैं I

हम करें प्रार्थना हर सक्षम देशभक्त भारतवासी समृद्ध उद्योगपतियों व नेताओं से

व्यर्थ न जाने दे बलिदान तपस्वी का जिसे शीघ्र प्रभु ने अपनी शरण में बुला लिया

कार्य अधूरा छोड़ गया वह बिना पके फल खाये पेड़ के जो उसने था पाला पोसा II

०१.०१.२०२३ इंद्र कत्याल

                               M.Sc.; MIE; Chart. Eng.; PGDPM

        (M) +919899605564; email : indrakatyal.asim@gmail.com

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