कविता क्या है
शब्दों के अथाह समंदर से
चुनकर पिरोई गई शब्दों की माला।
जब कवि के ह्रदय में
प्रज्वलित होती है ज्वाला
तन मन यूँ सुलगे जैसे
पी आया हो हाला
तब बनती है शब्दों की माला ।
कविता क्या है
शब्दों के फूलों से
सजाया गया शब्दों का गुलदस्ता ।
जब कवि के अंतर्मन में
हो असहनीय वेदना
राहें हो कंटक भरी
और सूझे ना कोई रास्ता
तब सज जाता है शब्दों का गुलदस्ता।
कविता क्या है
अंतर्मन के भावों का
शब्दों में अभिव्यक्ति
मन में घुमड़ते भावों को
जब मिल जाता है शब्दों का चोला
चित्त शांत हो जाता है
कवि मन को मिल जाती है तृप्ति
मिल जाती है भावों को अभिव्यक्ति।
कविता क्या है
उलझे हुए मन से
बुना गया शब्दों का ताना-बाना
उलझन हो कोई मन में
नींद ना हो अँखियन में
शब्दों की हो बरसात
मगर शब्द उलझे उलझे से
फिर मिल जाता है शब्दों को रास्ता
हो जाता है दिल से राब्ता
रच जाती है कविता।
नमिता सिंह “आराधना”
अहमदाबाद गुजरात