नवरात्रि वर्ष में दो बार आती हैं।बसंतिक नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि। हमारा हिंदू कैलेंडर व नव वर्ष की शुरुआत नवरात्रि से होती है। चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को नवरात्रि प्रारंभ होती हैं जो हिंदू नव वर्ष का पहला दिन भी होता है। इस दिन सनातन धर्म के लोग नव वर्ष बड़े ही उत्साह पूर्वक मनाते हैं। नवरात्रि के नौ दिन माता रानी के नौ रूपों की पूजा की जाती है जिसमें पहली शैलपुत्री, दूसरी ब्रह्मचारिणी, तीसरी चंद्रघंटा, चौथी कूष्मांडा, पांचवी स्कंध माता, छठी कात्यायिनी, सातवीं कालरात्रि, आठवीं महागौरी और नौवीं सिद्धिदात्री। ये मां दुर्गा के नौ रुप हैं कुछ लोग प्रतिपदा तिथि से अंतिम तिथि यानी अष्टमी के दिन तक व्रत रखते हैं। वह नवमी के दिन कन्या पूजन कर नवरात्रि का त्योहार संपन्न किया जाता है। कुछ लोग प्रतिपदा से लेकर सप्तमी तक व्रत रखते हैं और अष्टमी को कन्या पूजन करते हैं। कुछ लोग ऐसे भी हैं जो केवल प्रतिपदा के दिन व अष्टमी के दिन व्रत रखते हैं और नवमी को कन्या पूजन करते हैं। चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को कुछ लोग नवरात्रि के दिनों में देवी भगवती का पाठ हवन भी करते एवं कराते हैं। भगवान श्री राम का जन्म उत्सव भी बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है क्योंकि चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि के दिन दोपहर 12:00 बजे भगवान श्री राम का जन्म अयोध्या नगरी में दशरथ जी के घर कौशल्या माता के गर्भ से हुआ था। यह दिन बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस प्रकार बसंतिक नवरात्रि का समापन होता है।
दूसरी नवरात्रि शरदीय होती हैं जो अश्विनी मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से प्रारंभ होती हैं। इसमें भी “माँ” के नौ रूपों की पूजा की जाती है। माना जाता है की “माँ” की नौ रूपों की पूजा करने से मन वांछित फल मिलता है। चैत्र मास की नवरात्रि की तरह ही इस नवरात्रि में भी व्रत और कन्या पूजन करने का विधान है। बंगाल में इसी नवरात्रि को दुर्गा पूजा का नाम दिया जाता है। सप्तमी अष्टमी और नवमी तिथि को बंगाल में विशेष पूजा की जाती है जिसे दुर्गा पूजा कहते हैं जिसका बड़ा ही महत्व है। बंगाली लोग जहां पर भी होते हैं वहां पर इस उत्सव को मानते हैं। नवमी तिथि से अगले दिन विजयदशमी यानी दशहरे का त्यौहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है।
यह त्यौहार असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक है। भारत में बहुत से हिस्सों में इन्हीं नवरात्रियों में रामलीला का आयोजन भी किया जाता है जिसमें भगवान राम के जन्म से लेकर राज्याभिषेक तक का चित्रण किया जाता है।विजयदशमी के दिन रावण वध कर पुतले को फूंका जाता है। इस प्रकार शारदीय नवरात्रि व विजयदशमी का पर्व संपन्न होता है।
लक्ष्मी कानोडिया