दीदी, आज मुझे थोडे रूपये दे देना और 2 दिन की छुट्टी भी! कल गांव जा रही हूं, रक्षाबंधन है ना परसों इसलिये।’ कमला ने बर्तन मांजते मांजते रीनू से कहा। ‘तू गांव जा रही है पर तूने तो खुद कहा था कि अब तो मर कर भी गांव नहीं जाऊंगी। पिछले साल रक्षाबंधन की बातें भूल गयी क्या?’ रीनू ने आश्चर्य प्रकट किया।
‘नहीं दीदी वो तो सब कहने की बात थी। छोटा प्यारा भाई है मेरा, क्या हुआ जो पिछले साल थोड़ी सी लड़ाई हो गयी।लड़ाई होने से रिश्ते तो खत्म नहीं कर दूंगी ना! चिठ्ठी आई थी उसकी। कल सुबह ही निकल जाऊगीं।’ कहकर वो अपने काम में मग्न हो गयी।
रीनू सोच में पड़ गयी। एक ये कमला है जो इतनी कहासुनी होने के बाद भी भाई के प्यार में पागल हुये जा रही है और एक मैं? जरा सी बात पर छोटे भाई से रूठ कर बैठी हूं। अरे! इस बार दीवाली पर व्यस्त होने के कारण अगर गिफ्ट भेजना भूल गया था तो क्या हुआ? जरा सी बात पर अब तक मुंह फुलाकर बैठी है वो।कितनी बार फोन कर चुका है पर वो है कि बस!!!! खुद को ना जाने कितनी बार लताड़ा उसने।
वो तो इस बार रक्षाबंधन पर भी नहीं जायेगी, ये सोचकर बैठी धी पर आज कमला की एक छोटी सी बात उसके दिल को लग गयी और उसकी आंखें खुल गयीं। और अब वह अपने प्यारे दुलारे छोटे भाई भाभी के लिये क्या क्या लेकर जायेगी, इसकी लिस्ट बनाने में लग गयी।
रितु गोयल ‘ऋतु’