धूप है बहुत चलने का वादा तो करो।
धूप है बहुत चलने का वादा तो करो।
भीड़ है निकल आने का इरादा तो करो।।
सो जाऊगा गहरी नींद पल दो पल।
सपनो में आने का,दावा तो करो।।
जमाना ऐसा ही है,ऐसा ही रहेगा।
थोड़ा मुस्कुराने में इजाफा तो करो।।
मजबूर नहीं करते,साथ चलने को।
पायल छनकाने का वादा तो करो।।
बेरंग,बेनूर जिंदगी क्यों जिए हम।
प्यार के रंगों का इजाफा तो करो।
‘संजीव’ हवाओं पर लिखते है,नाम।
न भूल पानें का झूठा इरादा तो करो।। संजीव ठाकुर, रायपुर छत्तीसगढ़