वो सर्द हवाएं हो : वो काली घटाएं हो।
वो शर्मीली निगाहे हो : वो सिसकती आहे हो।
ठंड की कपन हो : थोड़ी सी अगन हो।
थोड़ी सी लगन हो : साथ में सजन हो ।
बस फिर किया, हो बाहों में बाहें, हो हाथो में हाथ, फिर सदा याद आयेंगी=वो सर्द रात : वो सर्द रात।
कश्मीर की वादी हो : पूरी आजादी हो।
जिगर फौलादी हो : तनपर वस्त्र खादी हो।
बस फिर किया,हो जाए रिमझिम बरसात, फिर सदा याद आयेंगी=वो सर्द रात : वो सर्द रात।
नदी का किनारा हो : वहती निर्मल धारा हो।
चारों तरफ अंधियारा हो : मैने तुम्हे पुकारा हो।
बस फिर किया, हो जाए एक मुलाकात, फिर सदा याद आयेगी=वो सर्द रात : वो सर्द रात।
कवि, मनोज कुमार पत्रकार।