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योग जीने का विज्ञान

योग नहीं साधारण नाम है,

योग तो जीने का ज्ञान है।

भौतिक अध्यात्मिक भाव,

आत्मिक हो या मानसिक।

योग एकता का संदेश है,

चेतना को करता एक है।

भावनाओं का संतुलन करे,

 तालमेल बनाए मदद करे।

बाहरी हो चाहे आंतरिक,

दोनों तरह से पहुंचाता लाभ।

मांसपेशियां और नसों को,

कहता सद्भाव में कार्य करो।

 दिमांग को पहुंचाता है शांति,

 शुद्ध करता रोज की जिंदगी।

पवित्र गीता भी हमें यह बताए

योग से कार्यों में कुशलता आए।

तुरंत नहीं करता है इलाज,

पर रोज करना है अभ्यास।

 पतंजलि को शत-शत नमन,

जो योग का किया था आरंभ।

 विज्ञान ने भी सिद्ध किया है,

कितनों को स्वस्थ किया है।

योग है आशा और प्रेम है,

योग साधना बड़ी विशेष है।

 योग है मन प्रसन्न पुष्प है,

योग है स्फूर्ति है स्वास्थ्य है।

 पूनम पाठक बदायूँ

19, 06,

इस्लामनगर बदायूँ

उत्तर प्रदेश

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