हिन्दी की व्यथा
ये अंधेरा क्यों है? आज तो बत्ती जला दो, वैसे तो कोई आता नहीं मेरे घर, शायद आज कोई भूले भटके आ जाये आज “हिन्दी दिवस है न किसी न किसी को तो मेरी याद आ ही जायेगी। सूना रहता है मेरा आंगन, मेहमान क्या…कोई कौवा भी मेरी मुंडेर पर नहीं बैठता है। क्या मैं…