“चलो तस्वीरें बनाए”
पारमिता षडगीं जिंदगी जिंदगी को बुला रही थी मेरे भीतर के खालीपन में रात भी थोड़ी थोड़ी मेरी नींद को चुराने लगी थी तुम्हारे भीतर व्याप्त रहने की इच्छा जो अनदेखी थी जो अनसुनी थी मेरे अकेलेपन के आतुर स्वर आकाश को खंड खंड कर पिघलने लगे थे आत्मा की उपत्यका में एक नदी बहने…