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दो-दो हिन्दुस्तान

लाज तिरंगें की रहे, बस इतना अरमान ।मरते दम तक मैं रखूँ, दिल में हिन्दुस्तान ।।●●●बच पाए कैसे भला, अपना हिन्दुस्तान ।बेच रहे हैं खेत को, आये रोज किसान ।।●●●आधा भूखा है मरे, आधा ले पकवान ।एक देश में देखिये, दो-दो हिन्दुस्तान ।।●●●सरहद पर जांबाज़ जब, जागे सारी रात ।सो पाते हम चैन से, रह…

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गण और तंत्र की बढ़ती दूरी

कुशलेन्द्र श्रीवास्तव सर्वजन हिताय, सर्वजन रक्षाय और सर्वजन सुखाय की भावना से निहित एक सार्वभौमिक संविधान की छाया के तले बहुभाषी, बहुजातीय, बहुधर्मावलंबियों का समूह स्वच्छन्दता और निर्भीकता के साथ जीवनयापन कर रहा हो वह गणतंत्र अपनी माधुर्य मुस्कान के साथ अपना 73 वां दिवस मनाने जा रहा है । स्तुत्य तो होगा ही ।…

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हर युग में बापू आप है जरूरी

राजनीति ने हमको सरहद की लकीरों में बांटा,हिंसा के जानवरों ने हमको बुरी तरह काटा,आज के हैवानों ने आदर्शों के मुंह पर मारा चांटा,बापू आपकी कमी कोई नहीं कर सकता है पूरी,हर युग में बापू आप है जरूरी।तोड़ा आपने हमेशा जाति का बंधन,इश्वर एक है तुम करो उसका वंदन,आपने लगाया हर इंसान को प्यार का…

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“नव्य भारत”

 ये गण का तंत्र, कैसा हो गया मन का मंत्र, हरेक जप रहा नव्य भारत ऐसा  हो कि सारा गणतंत्र जागरूक… अन्तर्मन दहके ज्वाला सा मुख मचा हाहाकर.. सेंध लगा नियमों में लोकतंत्र के नाम मजाक  बनाया समेटा था बहुत जा रहा बिखर – बिखर हर कोई सोच रहा अपनी – अपनी… नव्य भारत ऐसा…

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पावन गणतंत्र

पावन यह गणतंत्र हमारा,         कर्तव्यों को भी निभाते हैं।.. मिलकर आओ जग में हम,         भारत को श्रेष्ठ बनाते हैं।…. जब आजादी की अलख जगी,            वीरों ने प्राण गवाये थे। पावन मातृभूमि की रक्षा को,            वे बलिदानी कहलाये थे।। मातृभूमि की चरण धूलि हम,           सदा ही शीश लगाते हैं। पावन यह…

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क्या आज भी सुरक्षित नहीं हैं बेटियां ?

लोभी लोगों का डरकर नहीं डटकर सामना करें। कहने को हम सभी 21वीं सदी में जी रहे हैं बावजूद इसके मानवता कहीं किसी दरख़्त के नीचे दबी चली जा रही है । वर्तमान में जब हम आधुनिकता, विकास और स्वतंत्रता की बात करते हैं तो कहीं न कहीं ये सब दलीलें और बातें झूठी प्रतीत…

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जागो वोटर जागो : सम्पादकीय

मनमोहन शर्मा ‘शरण’ (प्रधान संपादक) आज सेना दिवस (15 जनवरी) है, भारतीय सेना को सहृदयता कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए नमन करता हूँ ।कोरोना – नए वेरिएंट (ओमीक्रॉनद्ध) की बात करें तो हाँ संख्या अति शीघ्रता से बढ़ अवश्य रही है किन्तु हमें यहाँ अपनी सोच को नियंत्र्ति करना होगा । मौसम बदलना–खाँसी–जुकाम के मामले हमेशा…

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पहचान : शशि महाजन

आज मेरा पहला उपन्यास छप कर आया है , इसे मैंने पापा को समर्पित किया है , जो हूँ आज उन्हीं की वजह से हूँ। यूँ तो कुछ साल पहले तक मैं उनसे नफरत करता था , उन्हें पापा भी नहीं कहता था , कोशिश करता था कि उनसे बात ही न करनी पड़े ,…

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अभी तो कई खिसकेंगे , यह तो बस शुरुआत है !

उत्तर प्रदेश में राजनीतिक उथल पुथल तेज हो गई है । जैसे – जैसे चुनाव की तारीख नजदीक आती जा रही हैं, विपक्ष और पक्ष के खेमे के सेनापति खेमा बदलना शुरू कर दिए हैं । जिसकी शुरुआत मंगलवार को बसपा से आए भाजपा में मंत्री रहे स्वामी प्रसाद मौर्य ने कर दी । पांच…

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चुनावी पतंगों से सज चुका आसमान

राजनीतिक सफरनामा              चुनावी पतंगों से सज चुका आसमान                                                                                            कुशलेन्द्र श्रीवास्तव लोहड़ी पर्व पर पतंगबाजी होती है । पहले अपनी पतंग को हवा में ऊंचा उड़ाओ और फिर हवा में उड़ रही दूसरी पतंग को काट डालो । राजनीति में भी ऐसा ही होता है । आवश्वासनों से भरी रंगबिरंगी पतंगें आसमान में उड़ती…

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